Monday, January 19, 2015

चली चलो की बिरिया है, यादें जो हैं अमानत तेरी, तेरे ही पास छोड जाएगा।

कलम से____
चली तेज हवा तो दीपक बुझ ही जाएगा,
बुझते हुए भी तुझे आबाद होने की दुआ दे जाएगा।
परिन्दा थक गया भले ही हो,
सफर आसमां से जमीन तक का पूरा कर ही चैन पाएगा।
शाख से गिरने के पहले,
फूल अपनी खुशबू से, बाग महका ही जाएगा।
चली चलो की बिरिया है,
यादें जो हैं अमानत तेरी, तेरे ही पास छोड जाएगा।
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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