Wednesday, January 14, 2015

बहुत अच्छा बदलाव आ रहा है

कलम से____
बहुत अच्छा बदलाव आ रहा है
संसार में वेजिटेबल्स
का चलन आ रहा है
लोगां के दो कोर्स
वेजिटेरियन हो गए हैं
एक हम इन्डियन
नये नये
नान वेजिटेरियन बन रहे हैं।
हैं शौक निराले
अपोजिट चलने का मजा
अपना है
जब जग चले दाहिने
तो हम बाएं चलते हैैं
कहीं ब्रिटिश कहीं अमेरिकी ट्रेन्ड्स
कहीं धोती कहीं जीन्स
आइसक्रीम कहीं कुल्फी
का मजा ही अपना है
सब घूमें
क्लाकवाइज़ तो एन्टीक्लाकवाइज़
का मज़ा ही अपना है
सामने से धक्का मारने
और पीछे से धक्का खाने
में मज़ा दोगुना है।
हम न सुलझे हैं
न सुलझेंगे
धागे उलझाने का मज़ा दूसरा है
उड़ती पतंग को लगंड़ से गिराना
हो लडाई किसी की
टांग फसाने में मज़ा अपना है।
टेढ़े रहने का मज़ा अपना है
कनहाई को देखो कभी सीधे न दिखेंगे
टेढ़े हैं हमेशा टेढ़े ही रहेंगे।
फिर भला हम कैसे सीधे रहेंगे....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • Ajay Kr Misra शुभ प्रभात्, सर।
    गजब की अभिव्यक्ति।
  • Ram Saran Singh महोदय । आपने नई और पुरानी, पूरब और पश्चिम, निरामिष और सामिष, सगुण एवं निर्गुण का बढ़िया मेल बैठाया है । चलिए जीवन इन्हीं विविधताओं में गुज़रता है । धन्यवाद ।
  • Rajan Varma कटाक्ष तो बहुत उम्दा हैं-
    पर डर यही है कहीं नापाकिया भाई कहीं इसे पढ़ कर उसके सीधे-सीधे वही शाब्दार्थ लगा कर समझ बैठे कि भारतियों को तो पीछे से धक्के खाने में आनन्द आता है, तो वोह कहेगा- 'यही तो मैं कर रहा हूँ पिछले कई वर्षों से- शीत-युद्ध के ज़रिये'- तो काहे नईं मज़ा लेत हो???
  • S.p. Singh राजन हमेशा की तरह आज भी सबसे हटकर पर मौलिक बात पर हैं। यह हो ही रहा है। हमारे सभी नेता मुँह से धमका रहे हैं कह रहे हैं समझ जाओ पर वह भी नादान समझना ही नहीं चाहता। अब फंस गये न अपने नेता बगलें झांक रहे हैं और अमरीका की ओर देख रहे हैं। भारतीयों को यह नहीं भूलना चाहिए दुनियां की आधी से अधिक मुश्किलें इस तेल ने खड़ी करीं हैं जो अरब देशों से निकलता है। कहां एक आदमी टोपी सिल कर अपने लिए खाने पीने का इंतजाम करता था और कहाँ यह तेल की कमाई से बगैर मेहनतकश जिन्दगी जी रहे हैं। सारे लड़ाई की जड़ तो अरबी भूमि से ही उपजी है।
  • Rajan Varma सच कह रहे हैं आप- ये सब अमरीकी-पैट्रो-डौलर अौर अरब खाड़ी का चोली-दामन के खेल की उपज है अौर अब अमरीका से संभले नहीं संभल रहा;
  • S.p. Singh जितने भी terror organisations हैं उनकी जड़े अरबी भूमि पर ही हैं और अमेरिका की सारी approach तेल पर निर्भर है
  • Rajan Varma सर जब अरबों को खाली बैठे अरबों मिलने लगे- तेल के बेताज बादशाह बनके- तो खाली दिमाग शैतान का घर! हरम-ऐशो-आराम अौर अातंकवाद में ही दिमाग चलना था। किसी भी चीज़ की अधिकता बुराई का मूल होती है- ये इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है-
  • S.p. Singh बिल्कुल सही है।
  • Sp Tripathi सर, अब अमेरिका ने अपना तेल प्रयोग करना शुरु कर दिया है । क्रूड का दाम कम होने का एक कारण यह भी है । जिसका फ़ायदा फेंकू को मिल रहा है ।
    23 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh एस पी बिल्कुल सही कह रहे हो। किस्मत का धनी है। बाबजूद इसके कि देश में कुछ नहीं हो रहा है फिर भी दीवाना पन लोगों का समाप्त हो रहा है। यह सरकार मात्र चंद लोगों का ही लाभ होने वाला है। धंधा करने वालों की सरकार बन गई है किसानों और गांव की ओर कोई भी नहीं देख रहा है। धान की फसल और कपास की फसल के रेट ने बेड़ा गरक कर दिया है। अगला झटका आलू और गेहूं को लगने वाला है। विरोधी दल भी शांत हैँ।
    23 hrs · Like · 1
  • Sp Tripathi अब विरोधी दल का कल्चर एव युग दोनो का समय समाप्त हो गया है। कोई भी नेता या पार्टी किसी के ख़िलाफ़ जन कल्याण के लिये अब नहीं बोलते ।
    23 hrs · Unlike · 3

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