Sunday, January 18, 2015

मुद्दत से चला आता है हर शाम, ग़म ताज़ा नहीं है

कलम से_____
मुद्दत से चला आता है हर शाम, ग़म ताज़ा नहीं है
तुम्हें शायद इस बात का अन्दाज़ा नहीं है !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with Puneet Chowdhary.
Like ·  · 
  • Rajan Varma भले ही मुद्दत से चला आ रहा हो, ग़म कभी बासी कहाँ हुआ,
    जब भी याद आता है, लगता है कल ही का तो फ़साना है;
    17 hrs · Unlike · 2
  • Ram Saran Singh आदरणीय एस पी सिंह सर और आदरणीय राजन वर्मा सर । ग़म तो ग़म ही है । ज़ख़्म भले ही भर जाए, दाग तो रह ही जाता है । यही दाग ग़म के आने जाने को ताज़ा करता रहता है । धन्यवाद ।
    16 hrs · Unlike · 3
  • आकांक्षा रॉय बहुत खूब...
    14 hrs · Unlike · 1
  • Harihar Singh बहतरीन अंदाज शोभान अल्लाह
    14 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh धन्यवाद । सभी मित्रों का आभार।

No comments:

Post a Comment