Sunday, January 18, 2015

पोस्टकार्ड

कलम से____
ख्वाब में
रात्रि के अंतिम पड़ाव में
यादों की परतों के नीचे से
कुछ दिख गया
पोस्टकार्ड
वही पुराना
अंग्रेजों के वक्त का
लिखावट
देवनागरी में थी
कुछ जानी पहचानी
सी लगी
18/12/1947
मेरे प्यारे ....
सदैव प्रसन्न रहो।
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शुभेच्छु,
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©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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  • S.p. Singh आज सुबह चार बजे से जग रहा था इंतजार था कि नेट बस काम करना शुरू भर करे। बैचेनी सी लग रही थी।

    अब मन शांत है।
    आभार।
  • Javed Usmani लाजवाब ,
  • S.p. Singh शुक्रिया जावेद भाई।
  • Rajan Varma सुप्रभात् भाई सॉ- पोस्ट कार्ड अौर ५-१० पैसे का चलन बीते युग की बातें हो गई; आपका मन अशांत था- अौर आज हमारे यहाँ भी ग़मी का माहौल रहेगा- हमारे मालिक मकान वाले (नीचे) शर्मा जी स्वर्ग सिधार गये गई रात- बीमार चल रहे थे पिछले कुछ महीनों से;
  • S.p. Singh भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। ओम शांति। शांति।
  • Ajay Kr Misra Sunder bhavpurn abhivayti.
  • Ram Saran Singh पुरानी याद दिलाता पोस्टकार्ड । हम लोगों ने ख़ूब लिखा । नई पीढ़ी जानती भी नहीं होगी ।
  • Harihar Singh बहतरीन अंदाज।
  • Neelesh B Sokey Netकाम नहीं करने से लगता है postcard ही ठीक था। 
    ........... बहुत सुन्दर!
  • S.p. Singh Thanks नीलेश। उन दिनों मैं सभी बातें पोस्ट कार्ड पर लिखी जाती थीं। कोई दूसरे की बात पढ़ता नहीं था। जब तक request नहीं की जाती थी। पोस्ट मैन भी बड़े अदब के साथ डिलीवरी करने घर तक आते थे।
  • Dinesh Singh पोस्टकार्ड
    वही पुराना
    अंग्रेजों के वक्त का
    ...See More
  • Neelesh B Sokey उन दिनों की बात कुछ और ही था। आज postman को सालाना बख्शीश नही देने पर बच्चों का admitcard, appointment letter भी भगवान भरोसे चौक के पान दुकान पर छोड़ जाता है।
    23 hrs · Unlike · 1
  • SN Gupta बहुत खूब
    17 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh धन्यवाद । सभी मित्रों का आभार।

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