Friday, September 19, 2014

अब क्या कहें इस ज़माने से

कलम से_____

अब क्या कहें इस ज़माने से
यह होर्डिंग देख मेरा दिल पिघल गया
जाना था जिसको
वो आखिर चला गया
जाते जाते कुछ काम ऐसा कर गया
जो मुझे जिंदगी से जुदा कर गया।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से_____

अब क्या कहें इस ज़माने से
यह होर्डिंग देख मेरा दिल पिघल गया
जाना था जिसको
वो आखिर चला गया
जाते जाते कुछ काम ऐसा कर गया
जो मुझे जिंदगी से जुदा कर गया।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Harihar Singh शुभ प्रभात राधे राधे जीSee Translation
  • S.p. Singh राधे राधे।
  • Ram Saran Singh महोदय, प्रात: ही आपका पोस्ट देख कर लिखने को मन कर गया । बँटवारा चाहे देश का हो या परिवार का अथवा दिलों का यह दर्द दे ही जाता है । विचार भाव प्रधान है । धन्यवाद ।
  • Rajan Varma बिछड़ना- अौर बिछड़ कर रह जाना दुखदः अनुभव है; बिछड़ना- अौर बिछड़ के किसी बेहतर व्यक्ति/इंसान/ख़ैर-ख़्वाह/हमसफ़र से जुड़ जाना सुखदाई हो सकता है; राधे राधे- सर मैं contrarian हूँ- जो सारी दुनिया सोचती है मेरा उससे भिन्न मत ही होता है- इसीलिये मुझे अकेले में कभी बोरियत नहीं होती; I like to be in my own company;
  • S.p. Singh धन्यवाद सिहं साहब।
  • S.p. Singh आप अगर दुनियाँ के साथ चलोगे तो पहचान खो दोगे। अलग पहचान बनाना भला कोई आसान काम है। बधाई स्वीकारें।
  • Ram Saran Singh वैसे मैं वर्माजी के विचारों से भी सहमत हूँ । कभी कभी एकाकीपन भी दोस्त बन जाता है ।
  • S.p. Singh सिंह साहब एकाकीपन में ही नई सोच बनती है। बाकी समय तो हम भीड़ का हिस्सा बन कर रहते हैं।
  • Shravan Kumar Sachan Har ghar ki aaj yahi kahani
  • Kanahiya Lal Mishra Na Chah kar hum yasa kar jate h.
    Jiwan mai dukh hota h
    Phir bhul nahi pate h
    ...See More

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