Monday, September 15, 2014

रात गेशू खोल तुमने गुनाह क्यों किया

कलम से____

रात गेशू खोल तुमने गुनाह क्यों किया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

मोंगरे की खुशबू ओढ़ तुम सामने आ गईं
बिंदिंया का रंग बदल मुझे मदहोश क्यों किया
रूप तुम्हारा लाल साड़ी में उभरता बहुत है
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

आँखों में काजल तुम्हारी फबता बहुत है
शाम को कातिल बना इल्जाम क्यों लिया
रौशनी को बुझा मुझे आमंत्रण क्यों दिया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with आशीष कैलाश तिवारी and Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

रात गेशू खोल तुमने गुनाह क्यों किया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

मोंगरे की खुशबू ओढ़ तुम सामने आ गईं
बिंदिंया का रंग बदल मुझे मदहोश क्यों किया
रूप तुम्हारा लाल साड़ी में उभरता बहुत है
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

आँखों में काजल तुम्हारी फबता बहुत है
शाम को कातिल बना इल्जाम क्यों लिया
रौशनी को बुझा मुझे आमंत्रण क्यों दिया
दिल जो मेरे काबू में था उसे बेकाबू क्यों किया !!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Sp Dwivedi -
    "कविता कामिनी कर रही,मुक्त हास्-परिहास .
    मौन आमंत्रण दे रही , करो स्वछन्द विलास ."
  • SN Gupta अतिसुन्दर कविता , बधाई
  • Neelesh B Sokey बहुत सुन्दर। और अब थोड़ा copyright भी हो गया।
  • Bhawesh Asthana Bekabu hai dil fir bhi jiya ja raha hu,
    Khali hai botal fir bhi piya ja raha hu,
    Majburi to dekho is dil ki.
    Reply nahi mil raha fir bhi izhare mohabbat kiyaa jaa rahaa hoon main
  • Ram Saran Singh महोदय आपने सारा इल्ज़ाम उसी पर मढ़ दिया । तथापि रचना वास्तव में बढ़िया लगी । हाँ यहाँ भी पुरुष प्रधानता झलक रही है । धन्यवाद ।
  • S.p. Singh धन्यवाद द्विवेदी जी।
  • S.p. Singh SN SIR: मैं तो पीछे पड़ गया और गलती कुबूल करा ली। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।
  • S.p. Singh भावेश जी बहुत बहुत धन्यवाद।
  • S.p. Singh सिंह साहब आपका धन्यवाद। कभी कभी महिला प्रधान भी रचना देता रहता हूँ।
  • आशीष कैलाश तिवारी एक मिनट,,,, अभी दिये देते हैं दाद...... मैम..!!?... देख लीजिए???.. 'हाल-ए-दिल'.. किस कदर गज़ल बन कर दिल के दरिया में कुलांचे मार रहा है,,,,,, याद दिला दीजियेगा के 69वां मनाया गया है... ३६ नहीं। सर के जज्बतां बे-काबू हो रहे हैं ना......! (सौरी सर,,, बिना बोले रहा ही नहीं जाता.. सत्य का हलफ़ जो उठाया है) See Translation
  • S.p. Singh अभी तो मैं जवान हूँ....एक पुरानी फिल्म का गाना था शायद ज़ोहरा बाई ने गाया था। कृपया ढूढं कर अपलोड कर देना।
    मन के हारे हार है
    मन के जीते जीत ।
    हमारा टारगेट "VAT 96" है भइय्या बुढ़ाए का।😀😀😀😀
  • Brahmdeo Prasad Gupta good morning, chahato ka koi unt nahi,chahte badhati rahi.......See Translation
  • BN Pandey MERAA HAALE GUM HAI WO HAALE GUM.MERI DAASTAA HAI WO DAASTAA... JO SHURU HAI TERE HI NAAM SE ...JO KHATM HAI TERE HI NAAM SE............SUPRABHAT SIR
  • S.p. Singh सुप्रभात पाडेंजी।
  • Arun Kumar Singh Good Morning Sir, Bahut Khub
  • Neelesh B Sokey गयी जवानी फिर न लौटे कितनो खाए दूध मलाई
    दुआ यही है हमारी 
    सिंह साहब न बुढ़ाई।

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