Tuesday, September 23, 2014

आये थे वादा निभाकर चले गये

कलम से ____
आये थे
वादा निभाकर चले गये
जाते जाते अक्स फलक पर छोड़ गये..........
कहा था
जब मन करे चले आना
मैं इतंजार करूँगी तेरा !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma and Puneet Chowdhary.
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  • Rajan Varma समय के साथ वादों की शिद्दत अौर गर्माहट फ़ीकी पड़ने लग जाती है; बड़े से बड़ा घाव भर जाता है गुज़रते वक्त के साथ- वादे तो फ़िर वादे हैं; कविता की जान अवश्य हो सकते हैं पर हकीकत के धरातल पर हवा होते देखे हैं ये कसमें-वादे
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  • S.p. Singh सही है।
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  • Ajay Kumar Misra इन्तज़ार कयामत तक, 
    सुन्दर प्रस्तुति।
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    18 hrs · Unlike · 1
  • Anjani Srivastava वादे निभा निभा के हम भी थक गये हैं.......
    ये अंदाज़-ए-मुकरना हमें भी सिखाइये....... !
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    18 hrs · Unlike · 2

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