Sunday, September 21, 2014

"लव जेहाद"

कलम से____

"लव जेहाद"
क्या सुदंर नाम दिया
एक नई सोच को जन्म दिया
लोगों को बहकाने का काम किया।

मीडिया इन्गेजमेन्ट
का काम सारा है
उन्होंने ने पाक इश्क को भी बदनाम किया।

नीच और कौन होगा इनसे
जिसने भगवान और अल्लाह को
मिल एक साथ गुमराह किया।

माना औरंगज़ेब ने
काम कुछ गलत किया
कृष्ण दरबार में हाज़िरी लगा
गोकुल में राधा मन्दिर नाम किया
क्या उसने यह ठीक नहीं किया।

कुछ और भी गलत किया होगा
इतिहास को भला कौन बदलेगा
हालात वैसे थे तब
जो किया शायद ठीक किया।

कई खानज़ादे ऐसे हैं
जो आज भी रोते हैं
अपनों से अलग क्या हुए
परेशान अभी भी रहते हैं
दिल तड़पता है उनका
वो कौन है जो आज भी
अपनों को अपनों से
मिलने नहीं देता
धर्म ही तो है
जो बदल गया
किसने चाहा था
पर उसको वह मिल गया
जीवन रक्षा में कुछ बिक गया
सो बिक गया।

आज भी खाई गहरी है
दो भाइयों को अलग अलग जो करती है
मिलने को थे तैयार
पर फिर उठे प्रश्न हजार
ले लेगें पर देगें नहीं
अपने घर की बिटिया
शादी ब्याह इकतरफा होगें
नहीं हुआ इस पर कोई करार
बढ़ और गई दोनों के बीच तकरार
आमने सामने रहते हैं
दिल दोनों के ही रोते रहते हैं
पर अलग हुए सदा को ऐसे
न मिल सकेंगे कभी जैसे।

खत्म हो मनमुटाव
है कोई सुझाव
दो दिलों का अलगाव
मिल बैठें होने लगें
बातें दो एक चार
मतभेद खत्म हो
बात हम कल की करें
मिलजुल कुछ ऐसा करें
दोनों है भाई
भाई बन फिर रह सकें।

(हिन्दू-मुस्लिम एकता को समर्पित)

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary and Anand H. Singh.
Photo: कलम से____

"लव जेहाद"
क्या सुदंर नाम दिया
एक नई सोच को जन्म दिया
लोगों को बहकाने का काम किया।

मीडिया इन्गेजमेन्ट 
का काम सारा है
उन्होंने ने पाक इश्क को भी बदनाम किया।

नीच और कौन होगा इनसे
जिसने भगवान और अल्लाह को 
मिल एक साथ गुमराह किया।

माना औरंगज़ेब ने
काम कुछ गलत किया
कृष्ण दरबार में हाज़िरी लगा 
गोकुल में राधा मन्दिर नाम किया
क्या उसने यह ठीक नहीं किया।

कुछ और भी गलत किया होगा
इतिहास को भला कौन बदलेगा
हालात वैसे थे तब
जो किया शायद ठीक किया।

कई खानज़ादे ऐसे हैं
जो आज भी रोते हैं
अपनों से अलग क्या हुए
परेशान अभी भी रहते हैं
दिल तड़पता है उनका
वो कौन है जो आज भी
अपनों को अपनों से 
मिलने नहीं देता 
धर्म ही तो है
जो बदल गया
किसने चाहा था 
पर उसको वह मिल गया
जीवन रक्षा में कुछ बिक गया
सो बिक गया।

आज भी खाई गहरी है
दो भाइयों को अलग अलग जो करती है
मिलने को थे तैयार
पर फिर उठे प्रश्न हजार
ले लेगें पर देगें नहीं
अपने घर की बिटिया
शादी ब्याह इकतरफा होगें
नहीं हुआ इस पर कोई करार
बढ़ और गई दोनों के बीच तकरार
आमने सामने रहते हैं
दिल दोनों के ही रोते रहते हैं
पर अलग हुए सदा को ऐसे
न मिल सकेंगे कभी जैसे।

खत्म हो मनमुटाव 
है कोई सुझाव
दो दिलों का अलगाव
मिल बैठें होने लगें
बातें दो एक चार
मतभेद खत्म हो
बात हम कल की करें
मिलजुल कुछ ऐसा करें
दोनों है भाई 
भाई बन फिर रह सकें।

(हिन्दू-मुस्लिम एकता को समर्पित)

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Rajan Varma मुस्लमान कहते हैं कि "अल्लाह आलमीन है'- वो परवरदीग़ार जो सारे आलम का एक है, मुस्लमीन नहीं कहा; हिन्दू भी कहता है कि ईश्वर सारे जग का एक है- केवल हिन्दुअों का नहीं; 
    फ़िर तो ले-दे के नाम की ही तो confusion है- territory तो साँझी ही हुई न! 
    मिल-बैठ कर common generic name- Super-conscious Vital Life-force रख लेते हैं- एक ही एक साझा पूजा-स्थल बना लेते हैं- जिसके चारों कोनों में एक-एक बुर्ज़ मँदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा अौर चर्च को represent करे- जहाँ केवल उस एक की चर्चा हो- किसी विशेष धर्म की नहीं;
  • Brahmdeo Prasad Gupta nice,marriage is only in hindues with sat janmo ka bandhan others prefer agreements to live together with compensation or may be without compensation.
  • SN Gupta अनुपम अभिव्यक्ति, सुन्दर पद्य रचना ,साधुवाद सुरेन्द्र पाल सिंह साहब
  • S.p. Singh राजन वर्मा जी काश हम यह अपने सामने होते हुए देख पाते।
  • Rajan Varma एक स्थल है जो इंशाल्लाह कभी संयोग हुआ तो साथ ले चलेंगे आपको भाईसाहब
  • Sp Dwivedi आपकी उद्दात्त भावना स्वागतयोग्य है पर यथार्थ कुछ अलग ही दीखता है
  • S.p. Singh गुप्ता साहब आज भी जिला अलीगढ, हाथरस, फिरोजाबाद, मैनपुरी, रायबरेली, सुल्तानपुर, आजमगढ़,बलिया इत्यादि में यह अलगाव की त्रासदी से ग्रस्त हैं, कुछ परिवार आमने सामने रहते हैं।दिल मिलने को करते हैं पर एका नहीं हो पाती। पर बेटियां लेने देने के नाम सहमति नहीं बन पाई है। हमारे मुल्क के ही तो लोग हैं। बाहर से चलिए मानिए कुछ ही तो आए थे वाकी सभी यहीं इसी सरजमीं से जुड़े लोग हैं। एक नये सोच की आवश्यकता है। वाकी तो जो होगा ठीक ही होगा। और फिर हरि इच्छा।
  • S.p. Singh SN Sir आपके दो शब्द ही बहुत हैं मेरे लिए। धन्यवाद।
  • S.p. Singh धन्यवाद द्विवेदी जी। आगे क्या है भविष्य के गर्त में कोई नहीं जानता।
  • Harihar Singh बहतरीन उदगार।बहुत सुन्दर।See Translation
  • Anjani Srivastava इतिहास को भला कौन बदलेगा........ 'सियासी सूरमाओ' की इँसानियत जो खतरे मेँ पड़ सकती है I वैसे ना इस्लाम खतरे में है, ना हिन्दू खतरे में है,,सियासत की भेट चढ़ता 'भाई चारा' खतरे में है,,..See Translation
  • Tahsin Usmani .Singh Sahab.I am pleaseantly surprised.In this era of increasing foolish mutual hatred, u r singing thesong of love and affection.Real great.
  • S.p. Singh I know there are few takers of this concept but there is no other way, at least I belive so.
  • S.p. Singh Even our Hon'ble PM has to admit that everyone is important to the nation. We can not afford to treat individuals differently.
  • Ram Saran Singh महोदय, सही समय पर सही विषय, आज जिस तरह से विष वमन किया जा रहा है, जो विष बेल फैल रही है कहीं से आशा नज़र नहीं आती । ये प्रयास शायद सार्थक हों । धन्यवाद ।
  • Neelesh B Sokey ➕VE Reflection.
  • S.p. Singh बहुत बहुत धन्यवाद दोस्तों।
  • Neeraj Saxena Bahut sunder
  • S.p. Singh धन्यवाद सक्सेना जी। कुछ लोग डरते हैं ऐसे विषयों पर कुछ कहने से। पर कविता के माध्यम से जो प्रयास किया है सिर्फ 18 करोड हिन्दुस्तानियों का उनकी भावनाओं का भी हम सम्मान करें। उनको सब के समान समझें। यह उनका ज़ायज़ अधिकार भी है। उन्हें अधिक न दें पर उतना तो...See More
  • Neeraj Saxena Bat sahi hai singh sahab
  • Bhawesh Asthana मिलजुल कुछ ऐसा करें
    दोनों है भाई
    भाई बन फिर रह सकें। सही सोच सर

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