Friday, September 19, 2014

इस गली में शाम से ही आ जाते हैं लोग

कलम से____

इस गली में
शाम से ही
आ जाते हैं लोग
कुछ दीवाने
कुछ थके हुए
कुछ हारे हुए
कुछ मौज मस्ती के लिए
भीड़ इस कदर हो जाती है
आना जाना दूभर
कोई बहिन बेटी माँ
इधर से निकल नहीं सकती ।

ठेका मिला है
बेचने का शराब
बन गई है गली खुली एक बार
क्या चाहिए
मटन चिकन टिक्का
या बिरयानी
या फिर कबाब
मिलेगा सब यहां ज़नाब।

पुलिसिया इंतजाम बेकार हुआ है
हराम की कमाई का ज़रिया बढ़िया बना है
नीचे से ऊपर तक जाती है सौगात
चुप रहते हैं सभी अफसर देख यह हालात।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
Photo: कलम से____

इस गली में
शाम से ही
आ जाते हैं लोग
कुछ दीवाने
कुछ थके हुए
कुछ हारे हुए
कुछ मौज मस्ती के लिए
भीड़ इस कदर हो जाती है
आना जाना दूभर
कोई बहिन बेटी माँ
इधर से निकल नहीं सकती ।

ठेका मिला है
बेचने का शराब
बन गई है गली खुली एक बार
क्या चाहिए
मटन चिकन टिक्का
या बिरयानी
या फिर कबाब
मिलेगा सब यहां ज़नाब।

पुलिसिया इंतजाम बेकार हुआ है 
हराम की कमाई का ज़रिया बढ़िया बना है
नीचे से ऊपर तक जाती है सौगात
चुप रहते हैं सभी अफसर देख यह हालात।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • BN Pandey DAFTER PER SANKAT HAI BHAARI..CHINTEET HAI BABU , ADHIKAARI...ESKO RULAA RAHI LAACHAARI..USKO RULAA RAHI GADDARI...DONO MAAN CHUKE HAI HAAR.......NANAK DUKHIYAA SUB SANSAAR
  • S.p. Singh बहुत खूब पाडेंजी।
  • BN Pandey NAMASKAAR SIR
  • S.p. Singh नमस्ते।
  • Ram Saran Singh मैंने पहले भी कहा है भ्रष्टाचार हमारे यहाँ की मिट्टी में सुगंध की तरह व्याप्त है । इसका ख़त्म होना नामुमकिन । पांडे बी एन जी की टिप्पणी काफ़ी अच्छी है धन्यवाद ।
  • Sp Tripathi यह दृश्य पूरे प्रदेश और देश का है ।See Translation
  • S.p. Singh Supreme Court के साफ orders हैं पर सरकारी मशीनरी अपना काम करना ही नहीं चाहती। पहले कम से कम यह मीडिया से डरते थे अब तो मीडिया वाले भी लिखते रहते हैं किसी के कान पर कोई फर्क पड़ता है।
  • Harihar Singh इस संस्कृति में जब पल बढ कर यौवनअंगडाई लेवेगा
    कैसे कल्याण वो कैसे पथ अपना पायेगा
    ये सुरा सुन्दरी की महफिल क्या कर सकती उत्थान मेरा
    ...See More
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  • S.p. Singh सोचता हूँ कि इसकी कापी कर डीम गाजियाबाद को भेजूं क्योंकि बैसे तो यह उनकी निगाह में आएगी नहीं। कार्यवाही हो या न हो उसके लिए तो वही जानें।
  • Neelesh B Sokey जिस्म सस्ती है जान सस्ती है 
    बच के चलना आगे आदमियों की बस्ती है।

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