Friday, September 19, 2014

क्यों टपक गए आखँ से यह दो बूँद गरम गरम आसूँ

कलम से____

क्यों टपक गए
आखँ से यह दो बूँद गरम गरम आसूँ
कहता रहा न निकलना
निकलते ही रहे आसूँ।

बस अपना चलता कहाँ है
जब चाहते हैं
निकल पड़ते है आसूँ।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

क्यों टपक गए
आखँ से यह दो बूँद गरम गरम आसूँ
कहता रहा न निकलना
निकलते ही रहे आसूँ।

बस अपना चलता कहाँ है
जब चाहते हैं
निकल पड़ते है आसूँ।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • आशीष कैलाश तिवारी क्या बात है सर.....क्या ख़ूब कही...। इसी बात पर देवदास कहते हैं.. 
    "दिल के छाले को शायरी कहें तो कोई बात नहीं, 
    तकलीफ तो तब होती है जब ये फूटते हैं और लोग वाह-वाह कहते हैं। "
    See Translation
  • S.p. Singh अब वाह वाह कर दाद दे ही दो।
  • Ram Saran Singh Marvellous sir. आँसू तो आपने होते हैं पर देता कोई और है । मार्मिक ।
  • S.p. Singh आशीष हम लोगां का ज़माना दिलीप साहब वाला था जिसमें आसुओं का अहम रोल होता था।हीरोइन तो रोती ही थी हीरो भी रोता था, अकेले में।
  • Anjani Srivastava ये आँसू मेरे दिल की ज़ुबान हैं, मैं रोऊँ तो रो दे आँसू, मैं हस दूँ तो हस दे आँसू ... आँसू तो अपने होते हैं पर देता कोई और है. दिल का रिश्ता जो होता हैं !See Translation
    23 hours ago · Unlike · 1
  • Kanahiya Lal Mishra Man dukhi to Aasoo Roy
    Man ne kaha to ky roy
    Aasu bole man dukhi hum roy
    22 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma आँसू शय तो एक है- कहने को कोई कहता है आँसू अौर कुछ नहीं गरम पानी है, तो कोई कहता है कि ये खून के आँसू हैं; देखने वाले को तो मात्र आँसू ही दिखते हैं-
    18 hours ago · Unlike · 2

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