Tuesday, September 30, 2014

6.15 AM Kaushambi Central Park.

कलम से____
6.15 AM Kaushambi Central Park.
बूढ़ी अम्मा और बाबा
पार्क में
बैंच पर थे बैठे
लगे बैचेन से
बार बार कुर्ते की बाहँ
ऊपर चढ़ा घड़ी
देख परेशान हो जाते
पास रखी बोरी
सामान से भरी
देखते फिर घड़ी
निगाह कभी इधर
कभी उधर जाती
खड़े हो इधर उधर टहलते
बैंच पर हताश हो फिर बैठ जाते।
रहा मुझसे नहीं गया
पास मैं उनके गया
परेशान लग रहे हो आप
मैं कुछ कर सकता हूँ
नहीं नहीं कुछ नहीं
नहीं कहना चाहते थे
मैं कहाँ आसानी से देता छोड़
पड़ गया पीछे
बोल पड़े, बेटा रहता है यहाँ
कौशांबी में, उस सामने
वाली बिल्डिंग में
जाना है उसके पास,
अभी अभी पहुंचे हैं
वक्त कुछ और गुज़र जाए,
जाएगें तब उससे मिलने।
रहा मुझसे नहीं गया
उन दोनों से यह कहा चलिए
मैं छोड़ देता हूँ
कहने लगे नहीं अभी नहीं
मैंने फिर जोर देकर कहा
चलिए संकोच न करिए
आप मेरे पिता तुल्य हैं
आँखों का बांध टूट गया
लाख रोकना चाहा
जो न रुका
कहने लगे बात असल में यह है
वक्त बच्चों का
उठने का हुआ नहीं है
देर से सोते है
देर से उठते है
इसलिए हम आठ बजे का
इतंजार कर रहे हैं
फिर जाएगें
तब बेटे बहू
पोते पोती से मिलेंगे,
आज शाम ही
वापस गांव चले जाएगें।
बोरी सामान की उठा
मैं चला, उनसे कहा
चलिए आप मेरे साथ चलिए
नहा धो लीजिए
कुछ खी पी लीजिए
फिर मैं ले चलूँगा
आपके बेटे के घर छोड़ दूगाँ।
जिद्धोजहद के बाद राज़ी हुए
मेरे घर वो दोनों चले।
नौ बजा तब मैंने कहा
चलें चलते हैं
कहने लगे कहाँ
मैंने कहा, आपके बेटे के यहाँ
कहने लगे, अब न जाएगें
मिल लिए जिनसे मिलना था
जिस घर आदर सत्कार न हो
वहाँ न अब जाएगें।
उठ खड़े हुए चलने के लिए
छोड़ देना हमको बस अड्डे
वहीं से वापस हम अपने गांव चले जाएगें
अबके गए फिर कभी नहीं आएगें
अबके गए फिर............
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma and Puneet Chowdhary.
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  • SN Gupta वाह वाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
  • Ram Saran Singh "चलें चलते है, कहने लगे कहाँ,,,,,,,,,,,,,,। " अबके गए फिर कभी नहीं आएँगे । " बड़ी मर्मस्पर्शी लाइनें हैं । विचित्रताओं से भरे इस संसार को क्या कहा जाए । लेकिन हाँ, मैं एक सिद्धांत का अनुगामी हूँ और वह है कर्म फल । जो जैसा करेगा वही उसे भी मिलेगा । चितनशील रचना । धन्यवाद महोदय ।
  • Satish Patel Wakai.... lajawab.....
  • Anil K Garg Sir, I am repeating same point again & again..........." from where you get such beautiful heart touching ideas ? " Wonderful Sir...
  • Neelesh B Sokey I must take a print out of this masterpiece SpS Sahab and keep in collection file.
  • Rajan Varma ह्ृदय स्पर्शी रचना है- ये अधिकतर घरों की कहानी है; जो माँ-बाप हमें इस लायक बानते हैं कि अपनी परवरिश खुद कर सकें उन्ही बच्चों के लिये माँ-बाप की परवरिश बोझ हो जाती है; पर मैं राम सरन जी की बात से इत्तेफ़ाक रखता हूँ - कि ये हमारे ही कर्मफ़ल है जो हमारे सामने आते हैं; 
    पता नहीं किस जन्म के कौन से हमारे ऐसे कर्म होते हैं जिनका हमें भुगतान करना पड़ता है इस जन्म में; ये जितने भी रिश्ते-नाते हैं- मां-बाप/बच्चे/भाई-बहन/बीवी-पति इत्यादि सब दरअसल लेने-देने के संबन्ध होते हैं; जिस दिन ये लेन-देन खत्म, उस दिन महा-प्रयाण; न एक पैसा कोई हम पर फ़ालतू ख़र्च करने वाला है अौर न कम;
  • Madhvi Srivastava its wonderful.....
  • Ravi Srivastava Bahut marmik hai ye sachai ls se achha aulad na de bhagwanSee Translation
  • Tahsin Usmani Excellent
  • 13 hrs · Unlike · 1

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