Sunday, September 14, 2014

सुबह से ही

कलम से____

सुबह से ही
आ जाते थे
चाहने वाले
एक दो कागा
दो एक टिटहरी
और एक मोर
कुछ और भी पुराने यार दोस्त
महफिल सजी रहती थी
अखबार की खबर
पर चाय ठंडी होती रहती थी।

अब कोई नहीं आता
खाली कुर्सी देख
लौट जाते हैं........

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary and Subhash Sharma.
Photo: कलम से____

सुबह से ही
आ जाते थे
चाहने वाले
एक दो कागा
दो एक टिटहरी
और एक मोर
कुछ और भी पुराने यार दोस्त
महफिल सजी रहती थी
अखबार की खबर  
पर चाय ठंडी होती रहती थी।

अब कोई नहीं आता
खाली कुर्सी देख
लौट जाते हैं........

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

No comments:

Post a Comment