Sunday, September 21, 2014

गये हुए थे पहाड़ पर घूमने को हम

कलम से____

गये हुए थे पहाड़ पर घूमने को हम
झरने के साथ अचानक आ कुछ गिरा
उठा मैं लाया निकाल कर जहां वो गिरा
पत्थर था छोटा सा 
हिस्सा किसी बड़े पहाड़ का...........

बड़े बड़े लोग जुदा हो जाते हैं
अपनी जमीन से
आँखें उदास रहतीं हैं
हसँते हैं फिर भी हम........

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary and Subhash Sharma.
Photo: कलम से____

गये हुए थे पहाड़ पर घूमने को हम
झरने के साथ अचानक आ कुछ गिरा
उठा मैं लाया निकाल कर जहां वो गिरा
पत्थर था छोटा सा 
हिस्सा किसी बड़े पहाड़ का...........

बड़े बड़े लोग जुदा हो जाते हैं
अपनी जमीन से
आँखें उदास रहतीं हैं
हसँते हैं फिर भी हम........

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • SN Gupta Wah Wah ji
  • Ram Saran Singh आदरणीय मिलना और बिछुड़ना जीवन का क्रम है । घर, परिवार भाई सब टूटते हैं समय पर जुड़ते हैं । प्रतीक के माध्यम से उत्तम भाव आपने व्यक्त किया । धन्यवाद ।
  • Sp Dwivedi जड़ पत्थर हो या आदमी अपने जड़ से टूट कर 
    अलग होना सबको शालता है.बहुत सुन्दर प्रतिक सर .
  • Neelesh B Sokey I am on the way (for my paternal land) but laughing. सही लिखा है आपने। Good one.
  • Harihar Singh बहुत सुन्दरSee Translation
  • Rajan Varma सर ये ज़माने का दस्तूर है- हमारे बच्चे को १०० बुख़ार हो तो रात में नींद नहीं आती, पड़ोसी का जवान बालक गुज़र जाये तो दो शब्द संताव्ना दे घर लौट आते हैं- रात्रि के भोजन से पहले!
  • Madhvi Srivastava ati sunder
    22 hours ago · Unlike · 1

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