Monday, September 22, 2014

महफिलों में आना जाना बना रहता है

कलम से____

महफिलों में आना जाना बना रहता है
दिल इसी बहाने हमारा लगा रहता है ।।

एक महफिल का जिक्र है यारो मेरे
हम थे वहाँ कुछ और भी लोग थे।।

कुछ नए चेहरे भी दिख रहे थे वहाँ
नए जोड़े को देख हम रुक गए जहां।।

तपाक से आ गए हमारे मेज़बान वहां
तार्रुफ कराया यह कर, हैं ये मेरी जां।।

"सुरेंद्र" नाम है करते हैं काम अब कुछ नहीं
हो चुके हैं रिटायर अब घर में ही रहते हैं।।

कभी कभार यहाँ वहाँ अक्सर दिख जाते हैं
कविता लिख भड़ास दिल की निकालते हैं।।

कभी इसको तो कभी उसको डाँट लेते हैं
दिन अपना यूँ किसी तरह काट लेते हैं।।

रातें कटती नहीं हैं इनकी जब आराम से
तब ये मुखातिब "रमा" जी के होते हैं।।

वैसे एक खास बात इनकी मैं और बतलाऊँ
रमा हैं कविता इनकी,
ख्यालों में ये डूबे जिनकी रहते हैैं।।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Ramaa Singh and Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

महफिलों में आना जाना बना रहता है
दिल इसी बहाने हमारा लगा रहता है ।।

एक महफिल का जिक्र है यारो मेरे
हम  थे वहाँ कुछ और भी लोग थे।।

कुछ नए चेहरे भी दिख रहे थे वहाँ
नए जोड़े को देख हम रुक गए जहां।।

तपाक से आ गए हमारे मेज़बान वहां
तार्रुफ कराया यह कर, हैं ये मेरी जां।।

"सुरेंद्र" नाम है करते हैं काम अब कुछ नहीं 
हो चुके हैं रिटायर अब घर में ही रहते हैं।।

कभी कभार यहाँ वहाँ अक्सर दिख जाते हैं
कविता लिख भड़ास दिल की निकालते हैं।।

कभी इसको तो कभी उसको डाँट लेते हैं
दिन अपना यूँ किसी तरह काट लेते हैं।।

रातें कटती नहीं हैं इनकी जब आराम से
तब ये मुखातिब "रमा" जी के होते हैं।।

वैसे एक खास बात इनकी मैं और बतलाऊँ
रमा हैं कविता इनकी, 
ख्यालों में ये डूबे जिनकी रहते हैैं।।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/

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