Tuesday, September 30, 2014

सारे सपने वहाँ रहते थे जहाँ तुम रहते थे........

कलम से_____
सारे सपने वहाँ रहते थे
जहाँ तुम रहते थे........
जीवन बदल गया है
जो तुम्हारी आँखों में दिखता था
वह सपना बिखर गया है
जो अपना लगता था
दूर हो गया है
कुछ साल पहले तक सपने अपने थे
अब सपने बंट गए हैं
कुछ वहाँ
कुछ यहाँ
रह गए हैं
सपनों की नगरी
मुम्बई
सागर तट ऊँची ऊँची बिल्डंगे
बड़ी बड़ी गाडियाँ
बड़े बड़े लोग
रहते सब वहाँ।
अंधेरा छटा
सबेरा हुआ
अब सब नहीं भागते
वहाँ कुछ और नया हुआ है
पूना बंगलूरु हैदराबाद दिल्ली
में ऐसा कुछ हुआ हैै
लोग यहाँ देखते हैैं
आशा के दीप हर रोज़ यहाँ जलते हैैं
लोग रोज़गार की तलाश में
यहाँ आते हैैं
फिर यहीं के बन रह जाते हैैं
कुछ के सपने बनते
कुछ के बिखरते हैैं ।
कुछ लोग अभी रुके हैं
अपने परिवार
अपनी सरजमीं से जुड़े हैं
उनके सपने उनके अपने हैं
सुकून उनको वहीं है
जो उनके पास है
वह और किसी के पास नहीं है।
इस चलती फिर थी दुनियाँ में
जो जहाँ है
उसका जहां वहीं है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Suresh Chadha Bahut khoob achi rachna sir jiSee Translation
  • Neelesh B Sokey लोग राँची जैसे छोटी शहर में आकर यहीं के रह जाते हैं महानगरों की तो बात ही कुछ और है।जो जहां है उसका जहाँ वहीं है।
    बहुत खूब।
  • Rajan Varma जहाँ जिसका घर है- home, sweet home; वही उसका कहाँ है; नगर में हो, महा-नगर में हो अथ् वा गाँव में- परिवार जहाँ- उसका जहाँन वहां; सत्य कहा आपने
  • Ram Saran Singh आदरणीय, सपने तो सपने हैंं बड़ा बनने का सपना बड़ी छलाँग लगवाता है । लेकिन हाँ महानगरों में सुख चैन कहाँ जो गाँव और छोटे शहरों में है ।
  • SN Gupta बहुत सुन्दर 
    '----अंधेरा छटा 
    सबेरा हुआ ----'नवीन परिदृश्य
  • Prem Prakash Goswami इस चलती फिर थी दुनियाँ में
    जो जहाँ है 
    उसका जहां वहीं है।
    See Translation

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