Friday, September 26, 2014

घना जंगल सुनसान नीरव सनसनाहट करती पवन

कलम से____
घना जंगल
सुनसान नीरव
सनसनाहट करती पवन
चिड़ियों का चहचहाना
झरने का कलरव
हरियाली ही हरियाली
ऊँचे दरख्तों से छन छन कर आती
धरती पर सूरज की रौशनी
मन की पुकार
कहीं आसपास तुम हो
हर श्वास में
हृदय की धड़कन
साफ़ सुनाई पड़ती है
अहसास दिलाती है
दूर रह कर भी
तुम हमेशा साथ हो।
प्रकृति के यह नज़ारे
दूर नहीं होते हैं
बस हम ही दूर बहुत रहते हैं
निकल पड़े घर से
यह सब दिल के करीब होते हैं।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Harihar Singh सुप्रभात सुमंगलम्।जय माता दी एसपी सिंह जीSee Translation
    14 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh जै माता दी। हरिहर भाई।
    14 hrs · Like
  • Surinder Gera Good morning
    13 hrs · Unlike · 2
  • Brahmdeo Prasad Gupta beauty of nature always inspires.
    13 hrs · Unlike · 1
  • Ram Saran Singh बहुत सही । महोदय प्रकृति का मनोरम दृश्य आमंत्रित करता है लेकिन हम अपनी रोज़ की जद्दोजहद से बाहर नहीं आ पाते । रचना मनोरम दृश्य को निहारने का खुला िनमंत्रण है । बहुत बढ़िया । धन्यवाद ।
    12 hrs · Unlike · 1
  • Bhawesh Asthana Sanson Ki Sargam Dhadkan Ki Beena Sapnon Ki Geetanjali Tu
    Man Ki Gali Mein Mehke Jo Hardum Aisi Juhi Ki Kali Tu
    11 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh बहुत सुंदर अस्थाना जी।
    11 hrs · Like
  • Rajan Varma ज़िन्दगी की भागम-भाग से समय निकाल, week-ends पर बीच-प्रकृति के camping करने से अंतस की बैट्री पुनः चार्ज हो जाती है; अंततः हैं तो हम प्रकृतिक जीव ही- अपने मूल के समीप आ कर जो शांति अौ' सुकूँ मिलता है वो अद्वितीय होता है; राधे राधे भाई साहब
    10 hrs · Unlike · 1
  • Anjani Srivastava बहुत सुन्दर सर जी !See Translation
    9 hrs · Unlike · 1

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