Monday, September 22, 2014

निगाहें तक हमें रहीं हैं

कलम से____
निगाहें तक हमें रहीं हैं
जा आप किसी और के साथ रही हैं
बुलाया हमको था चाय पर
छोड़ कर यूँ हमें आखिर कहाँ जा रही हैं !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Puneet Chowdhary Kavi shreshta jaan hi logo aaj to FB pe kisi chahane wale ki
    10 hrs · Unlike · 1
  • Puneet Chowdhary Kasar qatil ki hai kavi raaj katl to aapne kar hi diya hai
    10 hrs · Unlike · 1
  • Manish Sukhwal वाह खूबSee Translation
    10 hrs · Unlike · 1
  • Rajan Varma माशाल्लाह चेहरा आपका- निगाहें हटा नहीं पा रही, पर उस कमबख़्त का क्या करें जो खींचे चला जा रहा है बेख़बर! 
    सर निगाहें तो आपकी भी कयामत से कम नहीं- क्या मज़ाल कोई हैड-टर्नर बच कर निकल जाये!
    9 hrs · Unlike · 3
  • Ram Saran Singh महोदय ये बात कुछ ऐसी हुई कि "मैं जाँ ही ढूँढ़ता तेरी महफ़िल में रह गया"
    9 hrs · Edited · Unlike · 3
  • Ajay Kumar Misra बहुत खूब ।See Translation
    9 hrs · Unlike · 2
  • आशीष कैलाश तिवारी उफ़्फस् ये संगेमरमर सा तराश़ा सफ़्फाक़ बदन, 
    देख़ने वाले इसे व्हाइट हाउस कहते हैं।... आदाबर्ज है
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    8 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh आशीष आज शाम की चाय भी गई।
    8 hrs · Like · 1
  • Anjani Srivastava मंज़िलों से गुमराह भी कर देते हैं कुछ लोग ,
    हर किसी से रास्ता पूछना अच्छा नहीं होता....
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    7 hrs · Unlike · 2
  • Neeraj Saxena Kaya bat hai singh sahab
    6 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh नीरज जी,
    बड़े बे आबरू हुए आज चाय भी चली गई,
    कब आएगीं वह यह बता कर भी नहीं गईं।
    ...See More
    6 hrs · Like · 1
  • आशीष कैलाश तिवारी अभी तो सिर्फ चाय गई है सर। यदि यहीं हाल रहा,............ "मेरी आशिकी अब तुम ही हो!" का,... तो बगैर बर्फ, बगैर सोडा और.. का नाम से... बगैर पानी के काम चलाना पड़ेगा यारों को,.. जोहै तो।See Translation
    5 hrs · Unlike · 1

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