Monday, September 22, 2014

शिख से सूख रहा हूँ

कलम से____

शिख से सूख रहा हूँ
हृदय काम नहीं कर रहा शायद
हाल यह इसीलिए हुआ है
हरा भरा था कभी
धड़ ये कह रहा है !!

कमर टेड़ी हो गई है
सीधी अब क्या होगी
जैसी है वैसी ही अब रहेगी !!

गुमान बहुत करता था
अपनी जवानी पर
वो सब छूमंतर हो गई है !!!

कुछ साल और चलूँगा
फिर किसी की चिता में
लकड़ी बन जलूँगा !!!

अंत सभी का होना है
शाश्वत सच मैं जान गया हूँ
इसीलिए अपने पैर खड़ा हूँ !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

शिख से सूख रहा हूँ
हृदय काम नहीं कर रहा शायद
हाल यह इसीलिए हुआ है
हरा भरा था कभी
धड़ ये कह रहा है !!

कमर टेड़ी हो गई है
सीधी अब क्या होगी
जैसी है वैसी ही अब रहेगी !!

गुमान बहुत करता था
अपनी जवानी पर
वो सब छूमंतर हो गई है !!!

कुछ साल और चलूँगा
फिर किसी की चिता में 
लकड़ी बन जलूँगा !!!

अंत सभी का होना है
शाश्वत सच मैं जान गया हूँ
इसीलिए अपने पैर खड़ा हूँ !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Ram Saran Singh महोदय ! फलना और फूलना फिर नष्ट हो जाना ही इस दृश्य प्रपंच की नियति है । बहुत बढ़िया विचार हैं धन्यवाद ।
    9 hours ago · Unlike · 3
  • Sp Dwivedi आपका दिन शिवमय हो."
    8 hours ago · Unlike · 1
  • Rajan Varma मनुष्य का जन्म होता है तो लकड़ी के पलने में पड़ता है, चलना सीखता है तो लकड़ी के वॉकर से (अब तो हर लकड़ी कि शय को प्लास्टिक से रीप्लेस कर दिया गया है), अंतिम काठी भी लकड़ी की सीढ़ी अौर चिता में जला तो भी नौ मन लकड़ी चाहिये! पेड़ की बस यही कहानी; मानव से मिलती-जुलती हे ये शाश्र्वत वृक्ष-कथा; राधे राधे
    8 hours ago · Unlike · 4
  • Harihar Singh बहुत सुन्दर।सच का यथार्थ चित्रण।सुप्रभात राधे राधे जी।See Translation
    8 hours ago · Unlike · 2
  • BN Pandey JISANE ES SUCH KO JAAN LIYAA AUR DIL ME MAAN LIYAA USE JEEVAN JINE KI KALAA AA GAYEE............US PER PRABHU KI KRIPAA HO GAYEE
    8 hours ago · Unlike · 3
  • S.p. Singh देखिए न हम कुछ ढूँढ ही लेते है अफसाने नये अपने आसपास। पेश कर देते है फिर सब आपके पास।
    8 hours ago · Like · 4
  • BN Pandey SUPRABHAT SIR
    8 hours ago · Unlike · 1
  • S.p. Singh सुप्रभात। आब वापस आगए हैं या छुट्टी पर हैं।
  • Bhawesh Asthana death and decay has to go of the world
    8 hours ago · Unlike · 1
  • Surinder Gera Namaskara, Dear Sir !See Translation
    7 hours ago · Unlike · 2
  • S.p. Singh नमस्कार।
    7 hours ago · Like · 1
  • Anand H. Singh Bhavnatmak -This is the fortune for every one.
    7 hours ago · Unlike · 1
  • Anjani Srivastava गुमान बहुत करता था... अौर करुँगा..... क्योंकि अपने पैरों पै खड़ा हूँ ! बहुत सुन्दर सर जी ! अंत तो सभी का होना हीं है..............
    ईश्वर आपको स्वस्थ,सुखमय व शान्तिमय जीवन प्रदान करेँ, शुभकामनाए !
    See Translation
    7 hours ago · Unlike · 2
  • Ajay Kumar Misra यर्थात का दर्शन कराती आपकी ये रचना सुन्दर सन्देश देती है। साथ साथ मित्र महानुभावोँ का विचार पढ़ने को मिला। वास्तविकता का ज्ञान हुआ।
    आपका आभार सर।
    ॥ हर हर महादेव ॥
    See Translation
    6 hours ago · Unlike · 2
  • Brahmdeo Prasad Gupta JEEWAN BIKHAR JATA HAI JAB JISHE APNA SAMAJHTE HAIN BEGAN HO JATA HAI.See Translation
    4 hours ago · Unlike · 1

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