Sunday, September 14, 2014

मेरे ख्वाब तेरे ख्वाब से टकरा गए !

कलम से____

मेरे ख्वाब तेरे ख्वाब से टकरा गए !

मैं पली बड़ी हुई आदर्शों से घिरी हुई
पिता मेरे अध्यापक 
अच्छी शिक्षा दीक्षा देकर बड़ा किया
उचित समय जान मेरा विवाह किया
तुमको जाना उन्होंने जैसे दूसरे पिता जानते
अच्छा वर समझ मुझे तुम्हारे साथ विदा किया !

शुरू शुरू में तुमने भी मुझे सब कुछ दिया
धीरे धीरे रंग तुम्हारा बदलने लगा
पैसा और पैसा ही तुम्हारे लिए अहम हुआ
सम्बन्ध बिखरे स्वप्न टूटे
तुमने कभी मेरा ध्यान न किया !!

आज मै बिखर रही हूँ
मैं अब वह नहीं रही हूँ
आचार व्यवहार से मैं बंधी हुई हूँ
तुम आज़ाद पंछी बन उड़ रहे हो
आकाश अपने तय कर रहे हो !!!

सामंजस्य टूट गया है
साथ अब निभाने से भी नहीं निभ रहा है
राह तुमने कोई और पकड़ ली है
सोचती हूँ अब मैं क्या करूँ !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
 — with Puneet Chowdhary.
Photo: कलम से____

मेरे ख्वाब तेरे ख्वाब से टकरा गए !

मैं पली बड़ी हुई आदर्शों से घिरी हुई
पिता मेरे अध्यापक 
अच्छी शिक्षा दीक्षा देकर बड़ा किया
उचित समय जान मेरा विवाह किया
तुमको जाना उन्होंने जैसे दूसरे पिता जानते 
अच्छा वर समझ मुझे तुम्हारे साथ विदा किया !

शुरू शुरू में तुमने भी मुझे सब कुछ दिया
धीरे धीरे रंग तुम्हारा बदलने लगा
पैसा और पैसा ही तुम्हारे लिए अहम हुआ
सम्बन्ध बिखरे स्वप्न टूटे
तुमने कभी मेरा ध्यान न किया !!

आज मै बिखर रही हूँ
मैं अब वह नहीं रही हूँ
आचार व्यवहार से मैं बंधी हुई हूँ
तुम आज़ाद पंछी बन उड़ रहे हो
आकाश अपने तय कर रहे हो !!!

सामंजस्य टूट गया है
साथ अब निभाने से भी नहीं निभ रहा है
राह तुमने कोई और पकड़ ली है
सोचती हूँ अब मैं क्या करूँ !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह//

http://spsinghamaur.blogspot.in/
  • Ram Saran Singh वास्तव में हर व्यक्ति के जीवन में ऐसा ठहराव और विखराव कभी कभी आता है । परंतु महोदय सामंजस्य जीवन जीने की परिभाषा है ।
  • S.p. Singh महोदय आपको नहीं लगता जहां कटुता विचारों में इतनी आ जाए तो कोई और रास्ता निकालना ठीक नहीं होगा। मैं यह प्रश्न सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए उठा रहा हूँ। मेरा मानना है कि आज की पीढ़ी दो राहे पर खड़ी है। जहां माता पिता की सहमति और अचानक नई सोच में परिवर्तन की आधीं सी चल रही है। आप लड़की के पिता हैं तो सोच अलग होती है और आप लड़के के पिता हैं तो सोच अलग। असली टकराव तो यहाँ है।
  • Shlesh Rathore Ulfat सुंदर ...हर इंसान एक का न एक दिन बंधन महसूस करता है किन्तु कुछ समय बाद वह अपने आपको उस परिस्थिति में खुद को ढाल लेता है और आगे बढ़ जाता है |इसी को हम ज़िंदगी कहते है |
  • Ram Saran Singh हाँ समस्या में पेंच तो है । लेकिन हमेशा win win situation नहीं बनती सो सामंजस्य ही एक सहारा बच जाता है ।
  • Harihar Singh बहतरीन प्रस्तुतिSee Translation
  • Sp Dwivedi मार्मिक मनोभाओं की सुन्दर प्रस्तुति ,
  • SN Gupta अतिसुन्दर रचना
  • Rajan Varma सच है- जब दो इसांनों को एक ही छत के नीचे रह कर ता-उम्र गुज़ारनी हो तो सिवाये सामंजस्य/compromise के अौर कोई formula बचता ही नहीं; ग़र दोनों नहले-पे-दहला हैं तो विस्फ़ोट/divorce ही आखिरी विकल्प बचता है
  • Puneet Chowdhary kaviraj this is bitter truth of modern day society but there is no ablaa but men have become a tabla .pls change this picture with a crying man.
  • Rahul Singh GR8 Composition Sir !!!

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