Thursday, October 2, 2014

बच्चों का बचपन

कलम से____
बच्चों का बचपन
अब कहाँ
रह पाता है
जब पाठ उन्हें
पहले दिन से ही
रिसपान्सबिल होने का
पढ़ाया जाता है।
बेटे दुलारे होते हैं
सबके घर में
वो तो कुछ करते हैं
शैतानियां
बेटियां
नहीं करतीं हैं
नादानियां।
बेटों से
अच्छी होतीं हैं
बेटियाँ
पराई होकर भी जो रहतीं हैं
अपनी बेटियां।
//surendrapalsingh © 2014//
— with Subhash Sharma.
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