Friday, October 31, 2014

कविता

कलम से____
कविता,
का जीवन काल कम हो गया
चौबीस घंटे
या
अधिक से अधिक
छत्तीस घंटे
मात्र रह गया।
फेसबुक
ने यह काम कर दिया
एक बार कविता पढ़ क्या ली
लाइक कर दी
या
विवेचना लिख दी
बस फिर वो
पुरानी हो गई
खत्म हो गई
डाटाबेस के काबिल रह गई।
फिर नई का
इतंजार रहता है
नई नई के लिए
चाहनेवालों का
दिल बेकरार रहता है
नई आते ही
पुरानी सी लगने लगती है
चलन अब यही हो गया
फेसबुक के मित्रों के
नजरों में चढ़ने के पहले ही
कविता,
पुरानी पड़ उतर जाती है।।
खुशी इतनी है
कविता,
हिंदी में होती है
हिंदी को पापुलर कर गई है
हिंदी की सेवा कर गई है ।।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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  • Rema NairSp TripathiJ.m. Garg and 15 others like this.
  • Ram Saran Singh महोदय, उत्तम रचना और उत्तम विचार कभी पुराने नहीं पड़ते । रही बात नई रचना की प्रतीक्षा की तो यह मानव स्वभाव की बिशेषता है कि उसे नई चीज़ का इंतिजार रहता ही है । उसे ख़ूब से ख़ूबतर की तलाश रहती ही है । और आप रचना एवं विचारों का सफ़र जारी रखेंगे ऐसी हमें आशा भी है ।
  • Rajan Varma समय की रफ़्तार के साथ भाग रहा है ज़माना,
    तो भला कविता ही क्योंकर पीछे रह जाये इस दौड़ में?
  • Ram Saran Singh बिल्कुल सही माननीय वर्मा जी ।
  • Ajay Kumar Misra इस दुनियाँ मेँ हम सभी यात्री हैं। मिले और बिछुड़े।
    आपका प्रस्तुत विषय और फिर ज्ञानवर्धक विचारोँ से अवगत होना, प्रतिदिन इन्तज़ार रहता है।
    हम सभी मित्रोँ का हार्दिक अभिनन्दन करते हैं।
    ॥ हर हर महादेव ॥
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  • Harihar Singh सुन्दर विचार भरी कविता।See Translation
  • S.p. Singh कविता जब तक सेवा भाव में है उसके सभी रूप स्वीकार हैं। मां भारती और हिंदी की सेवा चलती रहे। कविता नई ऊचाईयों को चढती रहे। फेसबुक अनेकानेक धन्यवाद।
  • Amrendra Mishra सिर्फ कविता ही नही,दूसरी सूचनाएँ भी प्रभावित हुईं हैं फेसबुक की वजह से।See Translation
  • Amrendra Mishra गंभीर विषय गायब हो रहे हैं।See Translation
  • S.p. Singh अमरेन्द्र जी आप सही कह रहे हैं। पर यह बदलाव फेसबुक में नई generation की वजह से है। हम पुराने लोगों को हाशिये पर नहीं जाना है तो Gen. Nxt.के साथ चलना सीख लेना चाहिए। धन्यवाद।
  • Amrendra Mishra हम उनके हमसफ़र हैं,पर हमारे क्लासिक राइटर्स सिर्फ जयंती मानाने तक सीमित न रह जाएँ इसका भी ध्यान और यह भी कि साहित्य शो केस नहीं है। सिर्फ एक 'उसने कहा था' लिख देने से गुलेरी विश्व कथाकार की पांत में बैठ सकते हैं और कभी पुराने नहीं हो सकते।
    आपने जो बात क
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