Monday, October 6, 2014

रात भर मुस्कुराऊँगा

कलम से_____
रात भर मुस्कुराऊँगा
महकूँगा
महकाऊँगा तुम्हारे आगंन को
भोर होते ही
मैं सोने चला जाऊँगा।
पारिजात
हारसिगांर के फूलों
के नाम से
मैं जाना जाता हूँ।
मिलना है तो रात को
आ जाना
सेज फूलों की
सजा के रखूँगा।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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