Saturday, October 11, 2014

दूर दूर से आते हैं भक्त तेरे

कलम से____

दूर दूर से आते हैं
भक्त तेरे
श्रद्धाभाव हृदय में लिए
नयन में संजोए सपने अनेक
आस का दीप
मन में जगाए
माँ
तेरे दरबार में
तू सबकी है सुनती
मागँ सभी की है
पूरा है करती
माँ
जो है तू.......
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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