Monday, October 13, 2014

काश मैं पेन्टर होता बनारस की गलियों में रहता

कलम से____

काश मैं पेन्टर होता
बनारस की गलियों में रहता
वहाँ के घाटों के मनोरम
दृश्य बनाता
आते जाते लोगों के
साथ हो जाता
जो चेहरा
नज़र चढ़ जाता
उसको सामने मैं बिठाता
कुछ उसकी सुनता
कुछ अपनी कहता
धीरे धीरे
अक्स उसका मन में बसाता
रंगों की महफिल सजाता
जब वो मेरे
करीब हो जाता
अजीज़ हो जाता
कहता चलो, चलें दो कदम साथ
चलता वो तो
बनारस की तंग गलियों में
इधर उधर घूमा करता
बैठ मिठाई की दुकान पर
हलवा पूडी
रवडी खाया करता
आश्रम में बैठ
घंटो प्रवचन सुना करता
धर्म क्या है अधर्म क्या है
जानने की कोशिश करता
जीवन के दर्शन को
खोखली बातों से तौला करता
घाट की सीढ़ी से
गंगा को
निहारा करता
बहती हुई गंगा
ठहरी हुई गंगा
चंचल गंगा
उच्छल गंगा
गंगा के हर रूप को
हृदय में बसाता ...
हुआ फिर चल देता
गलियों में लोगों के साथ
फिर कहीं खो जाता
रंगो को पेन्टिंग में भरते भरते
बिछड़ जाता....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma.
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  • 6 hrs · Unlike · 2
  • Harihar Singh बहुत सुन्दर मनोभाव ।सुप्रभात सुमंगलम् जी।See Translation
    6 hrs · Unlike · 2
  • S.p. Singh Good morning to all friends.
    5 hrs · Like · 1
  • Sp Dwivedi ------
    शुबह -शुबह काशी की तंग गलिओं से गुजरते 
    गंगा घाट का दर्शन मनमोहक लगा , सुमंगल प्रभात
    4 hrs · Unlike · 2
  • Ajay Kumar Misra सुप्रभात् सर,
    बनारस की सुबह और अवध की शाम विश्व विख्यात है। आपकी रचना ने चार चाँद और लगा दिये। खूबसूरत प्रस्तुति।
    ॥ हर हर महादेव ॥
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    4 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh आज सुबह मुझे अपने मित्र सी एन पाडेंजी की याद हो आई जो हमेशा कहते थे बाबू साहब बनारस और कोलकाता आप मेरे साथ चलना इन दो शहरों को आप मेरी नज़र से देखना। यह मुमकिन न हो सका काश ऐसा हो पाता। इसलिए बनारस को मैंने कवि की नज़र से नहीं वरन एक चित्र कार के रूप में देखने की कोशिश जरूर करी है। गलती हो तो मेरी नज़र से कुछ छूट गया होगा।
    4 hrs · Unlike · 3
  • Surinder Gera Very good
    3 hrs · Unlike · 2
  • Anand H. Singh Kash es sab mai ,mai bhi a'p ke saath hota.,thoora maza mai bhi leta.See Translation
    3 hrs · Like
  • Ram Saran Singh आदरणीय, बनारस की याद और चित्रांतन करने की ललक बहुत ही सराहनीय है । मैं भी वहीं का हूँ । एक बात है जैसा कहा जाता है समय के साथ सब कुछ बदलता है पर नहीं बदला तो बनारस, नहीं बदलें तो बनारस के लोग, कह नहीं सकता आप कैसी तस्वीर बनाते । धन्यवाद ।
    3 hrs · Unlike · 2
  • S.p. Singh ड़र लगने लगा है कि परिवर्तन का यह दौर न जाने क्या करेगा। सिहं साहब देखना है क्या है अब जो हम लोगों के रहते ही होगा वह सही होगा या गलत।
    3 hrs · Like · 1
  • Ram Saran Singh ठीक कहा महोदय आपने ।
    3 hrs · Unlike · 1
  • Anjani Srivastava सर जी, 'हर हर महादेव’ शिव की साधना पूरी हुई तो जीवन संवर गया.... , एक पल में उसकी तक़दीर बदल जाती है एशा है बनारस !See Translation
    1 hr · Unlike · 1
  • Sp Tripathi मॉ एवं पिता श्री के बाद दिल मे कुछ बसता है तो बस बनारस । तन तो लखनऊ मे, पर मन तो बनारस मे ही रहता है । बनारस के बारे मे आपने लिखा , मुझे लगा मेरे लिए ही लिखा । बहुत धन्यवाद ।See Translation

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