Saturday, October 11, 2014

"हुद हुद" की हो रही हुंकार

कलम से ____
"हुद हुद" की हो रही हुंकार
आने वाला हूँ
हो जाओ तैयार
विनाश की लीला
होने वाली है
आन्ध्र और ओडिशा
को परेशान करने वाली है
हर साल कुछ न कुछ
हो जाता है
पूर्वी तट हमारा
बरबाद हो जाता है
खाड़ी बंगाल वैसे ही
उग्र है बहुत
जीवन को झकझोर जाती है।
सागर लाख बुलाए
दूर ही रहना
खतरों से झूझने की
है आदत पर आज दूर बने रहना
झंझावात है विशाल
'हुद हुद' से बच कर ही चलना।
शाम को मिलते हैं
खबर अच्छी ही देना।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma.
LikeLike ·  · 

No comments:

Post a Comment