Tuesday, October 7, 2014

शरद पूर्णिमा के अवसर पर

कलम से____

(शरद पूर्णिमा के अवसर पर)

यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं
आ रहे हैं पिया बस
यहीं रहें वो
यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं।
आस है मेरी लगी
आना है उनको यहीं
जायें न फिर कहीं
यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं।
वो किसी और को
साथ लाएं अपने नहीं
आएं अकेले ही सही
यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं।
मिलन की हमारी यह रात है
बात कुछ और होगी नहीं
मैं और वो
आज रात गुजारेंगे यहीं
यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं।
यामिनी चादँ से कह दो
आज वो जाएं न कहीं.........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma.
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1 comment:

  1. साधारण तरीके से असाधारण बात।

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