Wednesday, October 15, 2014

दूर बहुत नभ मंडल में एक दृश्य देख कर विचार उठा

कलम से____

दूर बहुत
नभ मंडल में
एक दृश्य देख कर
विचार उठा
दूर बहुत देखने को
मन बहुत करता है
फिर लौट वहीं
आसपास रह जाता है
आकर्षण कुछ ऐसा होता है
दिल अपनों में ही उलझा रहता है
अक्सर किस्से मोहब्बतों के
गलियों मोहल्लों के होते हैं
चादँ और तारों की बातें
हम सपनों में किया करते हैं।
इन्टरनेट के आने से
दुनियां ही बदल गई है
चादँ की छोड़ो
उसके आगे की भी खबर मिल रही है।
मंगल पर यान हमारा
क्या करता है
सब मालूम
होता रहता है।
अपनी दुनियां के आगे
भी दुनियां है
एक नहीं न जाने कितनी दुनियां हैं
लोग वहाँ भी होते होगें
रहते कैसे खाते क्या होगें
दिन दूर नहीं
जब हम उनके साथ बैठेगें
खाएगें और पियेंगे
नये लोग मिलेंगे।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma and Puneet Chowdhary.
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