Monday, October 6, 2014

आहिस्ता चल जिन्दगी

Being shared:-
आहिस्ता चल जिन्दगी, अभी कई कर्ज़ चुकाने बाकी हैं !
कुछ दर्द मिटाना बाकी है, कुछ फर्ज़ निभाना बाकी है !
रफ्तार में तेरे चलने से कुछ रूठ गए, कुछ छूट गए !
रूठों को मनाना बाकी है, रोतों को हसाँना बाकी है !
कुछ हसरतें अभी अधूरी हैं, कुछ काम भी और जरूरी हैं !
ख्वाहिशें जो घुट गईं इस दिल में, उनको दफ़नाना बाकी है !
कुछ रिश्ते बन कर टूट गए, कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए !
उन टूटे-छूटे रिश्तों के ज़ख्मों को मिटाना बाकी है !
तू आगे चल मैं आता हूँ, क्या छोड़ तुझे जी पाऊँगा?
इन सासों पर हक़ है जिनका, ऊनको समझना बाकी है !
आहिस्ता चल जिन्दगी, अभी कई कर्ज़ चुकाना बाकी है.......
-------------------------------------------------------------------
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
LikeLike ·  · 

No comments:

Post a Comment