Saturday, October 11, 2014

कौन है,




कौन है, जिस पर निगाह मेरी आकर यूँ रुक गई
पुरानी सी एक बात ख्वाब न जाने कितने जगा गई !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह//
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  • Ram Saran Singh बेहतरीन, अजीजतरीन । "न जाने कितने ख़्वाब जगा गई" मैं भी अपनी ओर से आपकी इजाज़त से कुछ जोड़ना चाहूँगा : " न जाने कौन उजड़े दयार में दस्तक दे गया, बेशुमार ख़्वाब बेताब हो उठे" धन्यवाद आदरणीय ।
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  • Anjani Srivastava सर जी, आज ‘करवाचौथ’ हैं..... 'कशिश' हो तो दुनिया मिलने को मचलती है,
    मगर जिंदगी 'मोहतरमा' से नहीं 'बीवी' से ही चलती है....शुभकामनाये !
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    16 hrs · Unlike · 3
  • Ram Saran Singh अंजनी जी आपने भी कमाल लिख दिया ।
    16 hrs · Unlike · 2
  • Anjani Srivastava धन्यवाद सर जी !See Translation
    16 hrs · Unlike · 1
  • Lata Yadav बहुत सुन्दर रचना
    12 hrs · Unlike · 1
  • SN Gupta बहुत सुन्दर
    12 hrs · Like · 2

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