Wednesday, October 15, 2014

सागर किनारे

कलम से____

सागर किनारे
कभी अकेले हो कर
खुद के भीतर के
अकेलेपन
को खंगालने का अहसास
बड़ा न्यारा है !!
कितने ही ख्वाब
लहरों पर सूरज की रौशनी में संवर जाते हैं
और
कहीं फिर दूर चले जाते हैं
कुछ रिश्ते मन को गुदगुदा जाते हैं
कुछ अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं
हकीकत से
पल भर के लिये ही सही
दूर खुद को किए जाते हैं !!!

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma and Puneet Chowdhary.
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