Friday, October 24, 2014

मनाओ दीवाली तुम

कलम से____
मनाओ दीवाली तुम
जलाओ घर में चिराग
रौशनी की खातिर,
अंधेरों को दूर करने के लिए
एक ही दीप काफी है !!
मुझे अभी जरूरी
काम करने है
अपने बच्चों की खातिर
खुशियों में शरीक़ हो लूँगी
काम पहले निपटा लूँ
घर की सफाई तो कर लूँ
सजावट का सामान जो लाई हूँ
लगा तो लूँ
पटाखे जहाँ चलाएगें वहाँ बाल्टी
पानी से भर के रख तो दूँ
चलूँ सरदी है पड़ने लगी
रजाई कंबल निकाल तो दूँ
स्वेटर बुन के जो रखा है
उसको बस एक बार धो तो लूँ
अपने हाथों से पहनाऊँगी
उसे आज अपने हाथों की बनी पूडी पकवान खिलाना है मुझे
न जाने कितने काम हैं वाकी
मुझे अभी जो करने हैं
चलूँ उठूँ टागें दुखती हैं तो क्या अभी तो हाथ पांव चलते हैं
न चलेगें जिस दिन तब की तब देखी जाएगी अभी जिन्दगी चलती है
जब तक चलती है
चलाई जाएगी ......
बेटा आकर यह कहता है, माँ
जा रहे हैं हम सब लोग बच्चे भी मेघा के घर
दीवाली वहीं मनाएंगे
आप यहीं रहना, घर का ख्याल है जो रखना
देखना, आप अकेली हो
घर को देखती रहना !!
चिराग एक जलाऊँ तो जलाऊँ
अब किसके लिए ....प्रश्न अचानक उठ खड़ा होता है, उत्तर भी अपने आप मिल जाता है
चलो कोई बात नहीं
खुश रहूँगी मैं, अपने लिए
जलाऊँगी चिराग सिर्फ एक अपने उनके लिए
वह तो आएगें शाम आज की वह मेरे साथ ही बिताएगें
बरस हो गए हैं कई
शाम कोई एक न गई जिस दिन याद उनकी न आई हो
आखँ मेरी, उनके लिए, न भर आई हो !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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  • Rajan Varma चिराग जलाऊँ तो किसके लिये? इन रिश्तों के लिये- जिनमें अब कोई मिठास नहीं रही? उनके लिये जिन्हें मेरे लिये दो पल फ़ुरसत नहीं? उनके लिये जिनको अब मेरे इस प्रकाश (मार्ग-दर्शन) की आवश्यक्ता ही नहीं? लगता है शाम ढल आई है- अब चलना चाहिये- रास्ता लम्बा है, चलना अकेले है, रात्रि-तिमिर घनेरा है- शायद इस चिराग की मुझे ही सबसे अधिक आवश्यक्ता है- बेटा सही कह रहा था- माँ अँधेरे में मत बैठना; कितनी चिंता करता है पगला- मैं कोई बच्ची हूँ क्या?
  • S.p. Singh बहुत सुंदर।
  • Sp Dwivedi बहुत सुन्दर रचना सर , एक रिश्ते का अहसास सदा जीवित रहता है
  • Ram Saran Singh ख़ुश रहूँगी मैं अपने लिए" बढ़िया रचना महोदय । बच्चों की अपनी दुनिया है । धन्यवाद ।
  • BN Pandey BAHUT HI EMOTIONAL RACHANAA HAI..........BUS ETANAA HI LIKHUNGAA KI GRIHAT-ASHRAM SABASE KATHIN SAADHANAA HAI........JO SAKUSHAL NIBHAA LE USKO BARAMBAAR PRANAAM...........
  • Ajay Kumar Misra समय बदल रहा है, लोग बदल गये हैं। बहुत मार्मिक प्रस्तुति।
    दीपावली सभी मित्रों की शुभ हो ईश्वर से यही कामना करता हूँ।
    See Translation
  • S.p. Singh आप सभी मित्रों को दीपोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
  • Ishwar Dass bahut khoob

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