Monday, October 6, 2014

विजय रथ पर हो सवार

कलम से____
विजय रथ पर हो सवार
धर्म गुरु वेदों का ज्ञाता है
देव अस्त्रों से सुसज्जित 
दशानन अपने पूरे रंग में है ।।
रघुवर लखन विभीषण
वानर सेना भी सजग है
हनुमान अंगद सभी वीर
रणभेरी प्रतीक्षारत में हैं ।।
भीषण युद्ध की है तैयारी
वीरों की सेना साथ है भारी
चक्रव्यूह की है पूरी तैयारी
दिखथी है न कोई लाचारी ।।
भन ही भन मुस्कुरा रहे रघुराई
दशानन अंत से मिटे आताताई
संकल्प साध राम आज आये हैं
खेल समाप्त कर विजयी होने आये हैं ।।
विजयादशमी का त्योहार आपके जीवन को एक नया रंग भर दे यही मगंल मनोकामना है।
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Subhash Sharma.
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