कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Monday, January 12, 2015
मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी हैं.. मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी हैं.....
कलम से____
मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशे अधूरी हैं..
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी हैं.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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Puneet Chowdhary
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Ajai Kumar Khare
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Neeraj Saxena
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Ajay Kr Misra
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Rajan Varma
संसार में दो ही प्रकार के इंसान होते हैं-
१) जो ये जानते हैं कि वोह क्या जानते हैं अौर क्या नहीं जानते
२) जो ये नहीं जानते कि वोह क्या जानते हैं अौर क्या नहीं जानते
अौर इन दो वर्गों से अलग कुछ विद्वान ऐसे होते हैं जो जितना अधिक अनुसंधान अौर खोज करके सत्य तक पहुँचने का प्रयास करते जाते हैं उतना ही उन्हे इस बात का विश्वास होता जाता है कि 'वे कुछ नहीं जानते'- सुकरात् ऐसे ही दार्श्निक थे- अौर किसी ग़लतफ़हमी में नहीं रहते थे;
बाकी हम सब तो किसी न किसी ग़लतफहमी को पाले बिना रह ही नहीं सकते!!!
January 10 at 2:42pm
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Ram Saran Singh
बहुत सुंदर । आपका भी क्या कहना । मतलब दिल बहलाने का ख़याल अच्छा है ग़ालिब ।
January 10 at 2:44pm
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Dinesh Singh
बहुत ही खूबसूरत
January 10 at 3:46pm
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Ripudaman Singh
I hundred percent agree with Rajan Verma,otherwise you have become a great poet who is expressing inner feelings.
January 10 at 4:35pm
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S.p. Singh
RDS: हम कल भी आपके पुराने दोस्तों की फेहरिस्त में थे और आज भी बस वही हैं और कुछ नहीं। ख्वाहिश बस इतनी है कि तुम नजर से बस गिरा न देना।
January 10 at 4:39pm
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Rajender Gaur
hakikat-e-jindagi
January 10 at 7:49pm
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Rahul Singh
Bahut Badiya Sir!!!
January 11 at 12:47am
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Harihar Singh
बहुत सुन्दर
January 11 at 9:06am
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