कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Monday, January 26, 2015
बस हम मंजिल की ओर चलें....
कलम से____
गाड़ी जब आएगी
तब आएगी
हम इतंज़ार क्यों करें
चलें अपनी राह चलें
मंजिल भले दूर हो
पास आ ही जायेगी
बस
हम मंजिल की ओर चलें....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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Madhvi Srivastava
,
Ajay Jain
,
SN Gupta
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Rp Singh
सुन्दर
January 25 at 9:35am
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Ram Saran Singh
महोदय । एक क़दम बढ़ाने से ही मंजिल मिलती है । ठहराव निष्क्रियता का सूचक होता है । धन्यवाद ।
January 25 at 9:45am
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2
Ajay Kr Misra
Kadam aage badhen to manjil per pahunch hi jayenge, sunder prastuti. Sir
January 25 at 10:25am
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Dinesh Singh
बहुत ही खूबसूरत
January 25 at 11:09am
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3
Harihar Singh
हम मंजिल की ओर चलें।बहुत सुन्दर।शुभ रात्री।
January 25 at 7:38pm
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Javed Usmani
लाजवाब
January 25 at 10:33pm
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SN Gupta
बहुत सुन्दर
22 hrs
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Ajay Jain
22 hrs
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