कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, January 4, 2015
पता नहीं कहाँ तलक पहूँची है मेरी फरियाद,
कलम से___
पता नहीं कहाँ तलक पहूँची है
मेरी फरियाद,
तुमने महसूस कर ली
मेरे लिए इतना ही काफी है ......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with
Puneet Chowdhary
.
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Chanchal Gupta
,
Anjani Srivastava
,
Harihar Singh
and
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Sudhakar Pandey
Jai Jai SriKrishna
January 3 at 8:07am
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S.p. Singh
राधे राधे सुधाकर।
January 3 at 8:09am
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Ram Saran Singh
महोदय, ज्ञानी लोग कहते हैं कि शुद्ध हृदय से हलक से निकली आवाज़ फलक तक पहुँचती ज़रूर है । धन्यवाद ।
January 3 at 9:01am
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3
Dinesh Singh
जय श्री कृष्णा
January 3 at 9:05am
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Arun Kumar Singh
राधे राधे
January 3 at 9:17am
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Kanahiya Lal Mishra
मुरली मधुर बजाते हैं।
तभी तो कृसन कहलाते हैं।
January 3 at 9:18am
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Brahmdeo Prasad Gupta
nice.
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January 3 at 9:21am
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Rajan Varma
हलक से फ़लक तक-
Ram Saran Singh
सर ने पहुँचा ही दिया;
मैं तो थोड़ा अौर नीचे से ही शुरू हो जाता हूँ-
सच्चे हृदय से निकली पुकार स्वामी तक पहुँच ही जाती है;
January 3 at 9:40am
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Ram Saran Singh
Thanks respected Rajan sir.
January 3 at 9:52am
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Suresh Chadha
Jai Jai Nand Gopala
January 3 at 10:44am
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