Sunday, January 4, 2015

जिन्दगी रिवाइंड मोड में

कलम से____
जिन्दगी रिवाइंड मोड में
करने को कुछ है नहीं
बैठे बैठे सोचते रहते हैं
पहुँच बचपन में जो गये
याद आता है, वो वाकया
रेल थी बढ़ती हुई
ड़ोर आस की टूटती हुई
पेड़ पौधे पीछे छोड़ती हुई
सफर खत्म होने का
नाम लेता था नहीं
दून घाटी, देहरादून
कर रहा था इंतजार
कोई वहाँ,
सांस टूटती हुई
गिनती उल्टी गिनती हुई
थी दाँव पर जिन्दगी
माँ की.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
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  • Ram Saran Singh आदरणीय । आप कभी कभी ख़्वाबों में छोड़ देते । हम सब जैसे जैसे उम्रदराज़ हो रहे हैं, बचपन की यादों के मुंतज़िर बनते जा रहे है । बहुत सुंदर रचना । धन्यवाद ।
  • S.p. Singh मैं कभी कभी बीते हुए पलों में जीने के लिए चला जाता हूँ।
    बहुत बहुत धन्यवाद।
  • Kanahiya Lal Mishra हर कोई बीते हुये ख्वाबो मे जीता है ।
    बीते पलो का ख्याल दिलसे नही निकाल पाता है।
    असीम सुख हम इसमें पाते है।
    ...See More
  • Dinesh Singh वाह बहुत ही सुंदर प्रस्तुति आदरणीय
  • Harihar Singh अदभुद चिन्तन।शुभ रात्री

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