Sunday, January 4, 2015

सर्द हवाओं का जोर है

कलम से____
सर्द हवाओं का जोर है
बारिश भी नहीं है
थम रही
लिखा था कागज़ पर जो
चस्पा कर दिया है
लोगों ने दीवार पर....
फिर दूर क्यों हो तुम
पास आओ तो जरा
गर्म सासों का एहसास
कराओ तो जरा
सर्द रातों में
बुझते चरागों को
जलाओ तो जरा.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
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