कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Wednesday, January 21, 2015
तुम आ भर जाओ फिजायें महकने लगेंगी
कलम से_____
तुम आ भर जाओ
फिजायें महकने लगेंगी
पास बैठोगे तो
चल रही हैं जो सर्द हवायें
खुशगवार लगने लगेंगी.....
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with
Puneet Chowdhary
.
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Surinder Gera
,
Sudarshan Saw
,
आकांक्षा रॉय
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Harihar Singh
वाह जी वाह।
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Rajan Varma
साथ सुहाना हो तो कौन कमबख़्त होश में रहना चाहता है,
ज़न्नत कहाँ जायें ढूँढने जब ज़न्नते-नूर सामने बैठी है;
20 hrs
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Ajay Kr Misra
Bhavpurn sunder prastuti.
20 hrs
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Ram Saran Singh
सर कमाल लिखा है आपने । मतलब यह है कि " उनके आने से आ जाती है चेहरे पे जो रौनक़, वो समझते हैं बीमार का हाल अच्छा है " धन्यवाद ।
20 hrs
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Dinesh Singh
बहुत सुन्दर .मान्यवर लाजवाब
20 hrs
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S.p. Singh
अब क्या करें दिल्ली में मौसमी सर्दी अभी भी सता रही है। शायद कुछ लिखने पढ़ने से ही कम लगने लगे।
19 hrs
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Suresh Chadha
Ati Uttam rachna sir
16 hrs
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