कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Monday, January 12, 2015
जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!
कलम से_____
बेहतरीन यादों की तरह तुम आए ही क्यों
जाते क्यों हो अब, कुछ देर और ठहर जाते !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with
Puneet Chowdhary
.
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Arun Kumar Singh
,
BN Pandey
,
Ajay Kr Misra
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Ram Saran Singh
यादें विगत में ले जाकर आनंदमग्न कर तो देती हैं लेकिन समय का अंतराल जितना बढ़ता है यादें धूमिल पड़ती जाती हैं और अंत में सब कुछ रेतीला रेगिस्तान सा दीखने लगता है । बहुत बेहतरीन मनोभाव को आपने उठाया । धन्यवाद ।
January 11 at 5:27pm
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S.p. Singh
धन्यवाद।
January 11 at 5:30pm
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Ajay Kr Misra
उत्कृष्ट अभिव्यक्ति, सर।
Yesterday at 10:16am
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Dinesh Singh
वाह बहुत ही खूबसूरत
21 hrs
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