कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Tuesday, January 6, 2015
मंजिल मिले न मिले इसका गम नहीं.....
कलम से____
मंजिल मिले न मिले इसका गम नहीं.....
मंजिल की ओर मेरा कारवां तो है.......
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
— with
Puneet Chowdhary
.
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Dinesh Singh
,
Sudarshan Saw
,
Anjani Srivastava
and
36 others
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Puneet Chowdhary
Yes sir initiative is more important well said
January 5 at 4:19pm
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SN Gupta
बहुत खूब
January 5 at 4:44pm
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Rp Singh
वाह...........
January 5 at 4:53pm
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एस.पी. द्विवेदी
-Wah,
January 5 at 5:57pm
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Sp Tripathi
बहुत सही बात । मंज़िल मिले न मिले रास्ता तो उसी तरफ़ है ।
January 5 at 6:01pm
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Ajay Kr Misra
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति।
January 5 at 6:19pm
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Raj Gupta
बहुत सुन्दर।
January 5 at 7:05pm
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Ram Saran Singh
क्या बात है । " डूब जाऊँगा ऐ नाखुदा लेकिन तूफ़ाँ से लड़ तो लेने दे " । बहुत लाजवाब । धन्यवाद
January 5 at 7:33pm
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Amrendra Mishra
उसमें हम सब शामिल हैं ।
January 5 at 7:53pm
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BN Pandey
god helps those who help them self............himmat ko salaam.
January 5 at 8:52pm
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Udaya Veer Singh
क्या कहने ...
January 5 at 9:50pm
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Rajan Varma
राह सही हो, रफ़्तार धीमी भी हो तो चलेगा,
देर-सवेर मँज़िल आ ही जायेगी;
राह ग़लत हो, रफ़्तार कितनी भी तेज़ क्यों न हो,
...
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January 5 at 10:05pm
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आशीष कैलाश तिवारी
मिलेगी, पर अभी नहीं जरा सा कार्य बाकी है।
January 5 at 10:39pm
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Javed Usmani
लाजवाब
Yesterday at 2:34am
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Dinesh Singh
वाह बहुत ही सुंदर
1 hr
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