Sunday, January 4, 2015

कैसे हैं यह रास्ते

कलम से___
कैसे हैं यह रास्ते
जो और लंबे होते जाते हैं
साथ तुम होते हो
कितने छोटे लगते हैं
मिलकर चलेंगे पा जाएंगे मंजिलें
गुम होकर कहीं खो जायें हम नहीं !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
http://spsinghamaur.blogspot.in/
— with Puneet Chowdhary.
Like ·  · 

No comments:

Post a Comment