Sunday, January 4, 2015

दरिया का शोर, झील सा ठहराव, दौर ए मौज़ क्या क्या न देखा, तेरी आँखों की गहराइयों में !!!

कलम से ____
दरिया का शोर, झील सा ठहराव, दौर ए मौज़
क्या क्या न देखा, तेरी आँखों की गहराइयों में !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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