कुछ मेरी, कुछ तेरी !
Sunday, January 4, 2015
दरिया का शोर, झील सा ठहराव, दौर ए मौज़ क्या क्या न देखा, तेरी आँखों की गहराइयों में !!!
कलम से ____
दरिया का शोर, झील सा ठहराव, दौर ए मौज़
क्या क्या न देखा, तेरी आँखों की गहराइयों में !!!
©सुरेंद्रपालसिंह 2015
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Suresh Chadha
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Sp Tripathi
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Dinesh Singh
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Ram Saran Singh
आदरणीय मैं आपका तहे दिल से समर्थन करता हूँ । किसी ने ऐसे ही मौक़े पर कहा है " दिल को तो किसी तरह दिलासा दिया करूँ, आँखें तो मानती नहीं, मैं इनका क्या करूँ " धन्यवाद ।
January 3 at 5:59pm
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Puneet Chowdhary
Khubsoorat tanveer Khubsoorat Rachna. Sone pe suhaga
January 3 at 6:23pm
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Puneet Chowdhary
Tasveer
January 3 at 6:23pm
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Dinesh Singh
वाह मान्यवर वाह क्या कहने बहुत ही शानदार पेशकश--
23 hrs
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