Thursday, November 27, 2014

तुम हो दोनों अजीज़ मेरे

कलम से____
तुम हो दोनों अजीज़ मेरे
कैसे कह दूँ
एक को अलविदा
चाहूँगा कुछ देर के लिए
तुम ऐसे ही ठहर जाओ
जाने वाले कुछ पल को रुक जाओ
आने वाले तुम भी पल दो पल को थम जाओ।
नहीं मानोगे, नहीं रुकोगे
चलो फिर तुम जाओ
तुम भोर बन आओ
प्रकाशित जग को कर जाओ।
अलविदा भी
स्वागत भी........
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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