Thursday, November 6, 2014

मिलने को तो मिलते हैं वो बड़े तपाक से

कलम से____

मिलने को तो मिलते हैं वो बड़े तपाक से
ऐसे लोगों के अक्सर दिल नहीं मिला करते।
हैलो कहते हैं हँसीं भी नकली सी लगती है
आह भी एक अजीब सी दिल में उठती हैै।
रिश्तों की मौत तो पहले ही हो चुकी है
पौधे को कभी प्यार से सींचा ही नहीं है।
टेलीफोन से हँस के हैलो क्या किया
मरते हुए रिश्ते को थोडा उबार लिया।
कुछ दिन के बाद जरूरत महसूस नहीं होगी
जज्बातों के साथ साथ रिश्ते हैं जो मर चुके होंगे।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Harihar Singh बहुत खूबSee Translation
  • Subhash Sharma JAY HIND Ati Uttam Satyvachan
  • Ram Saran Singh रिश्तों के उतार-चढ़ाव पर और रिश्तों में हल्के पन पर रचना बहुत बढ़िया है । अब रिश्तों को हलो - हाय की नज़र से देखा जाने लगा है । धन्यवाद महोदय ।
  • Sp Dwivedi SATY KATHAN, SUNDR
  • BN Pandey RELATION SHIP NEVER DIES THEIR NATURAL DEATH THRY ARE KILLED BY EGO, ATTITUDE & IGNORANCE.
  • Rajan Varma पहले मिलने पर तीन बार गले मिलने का चलन था,
    फ़िर पुर-ज़ोर, गर्म-जोशी से हाथ मिलाने का क्रम चला,
    तत्पश्चात ठँडेपन अौर ढीले-ढाले हाथ मिलने का sophisticated फ़ैश्न आया,

    अब तो हैलो भी लम्बा लगता है, हॉय से ही काम चलाना पड़ता है। 
    रिश्ते तो प्रेम की नाज़ुक डोर से बंधे होते हैं- सहेज कर न थामो तो कहाँ रूकते हैं!!!

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