Thursday, November 6, 2014

यह कौशांबी पार्क स्थित मंदिर के बाहर के हैं..

कलम से____
नीचे दो चित्र
देखिये ज़रा ध्यान से
यह कौशांबी पार्क स्थित
मंदिर के बाहर के हैं.....
मेरे पावं ठिठक
कर रुक गये
दरवाजे तक जाकर फिर
आगे न गये......
एक तरफ भीड़ थी
पक्षियों की
दाना ड़ाल दिया
था किसी ने
चुगने चले आये थे
बेचारे सुबह सुबह
भूख के मारे.......
दूसरी ओर
प्रचार था हो रहा
"विवाह संयोग सेवा" का
माता की चौकी लगाने का.....
पेट जिनके भरे होते हैं
तिजोरियों में जिनके हीरे जवाहरात होते हैं
वह लोग यहाँ आया करते हैं
फिर हाथ जोड़
पत्थर के देवता से
मांगने लगते हैं
न जाने कितना मागेंगे
कहाँ साथ यह सब जग के सुख ले जायेंगे
भूखे नंगे आये थे
यह नहीं जानते खाली हाथ आये थे
भूखे नंगे शायद जायेंगे......
निश्चय मैंने किया
बहुत हाथ जोड़ कर मांगा है
अब और नहीं मागूँगा
जो दे न सका अब तक उससे क्या मागूँगा
सुख भौतिक बहुत हुये
मन शांत रहे
चित्त प्रसन्न रहे
मैं स्वयं में ही अब ढूढूंगा
मागं मांग कर और लज्जित नहीं होऊँगा.....
मैं वापस पार्क की बैन्च पर आ बैठा हूँ
मन स्थिर है, प्रसन्न है, स्वस्थ है......
यही आशीर्वाद प्रभु तेरा मेरे लिए बहुत है......
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Harihar Singh वाह बहतरीन उदगार।राधे राधे जीSee Translation
  • Ram Saran Singh आदरणीय, पत्थर पूजन के मिथक को तोड़ती बेहतरीन रचना । साथ में व्यक्त उद्गार भी । ऐसी रचना चाहिए ।
  • S.p. Singh धन्यवाद सिहं साहब। आप लोगों की बजह से शक्ति मिलती है।
  • Sp Tripathi बहुत ही सार्थक रचना है ।See Translation
  • Kalpana Chaturvedi इसी बहाने चिड़ियों को दाना मिलता है।जो पर् यावरण के लिए भी और सबके लिए भी हितकर है वही धर्म है नहीं क्या?
    उसी से ईश्वरीय वरदान भी मिलते ही हैं।क्या यह सच नहीं?
  • Rajan Varma बीमार बच्चे को मालूम ही नहीं कि उसे क्या चाहिये- या फ़िर क्या उसके लिये ठीक है अथवा नहीं; वोह तो चाॅकलेट माँगेगा ही- पर माँ को मालूम है कि चाॅकलेट इसकी सेहत के लिये ठीक नहीं तो वोह उसे कड़वी दवा ही पिलायेगी जिससे उसकी तबियत में सुधार हो;
    इसी प्रकार हमें भी तो पाँच-पाँच भीष्ण रोगों ने ग्रसित कर रखा है- उन्ही रोगों के प्रभाव में हम अंट-संट माँगते रहते हैं- पर परम-पिता परमात्मा हमें वही देगा जो हमारी सेहत के लिये उपयुक्त होगा; अतः आपने सही फ़रमाया- सारी ज़िन्दगी हमने माँगा अब अौर नहीं- जो दिया पिताश्री ने पहले वोह संभाल लें- उसी में आनन्द माण लें- अन्यथा ये भी यहीं रह जाना है- अौर माँगेगे तो वोह कौनसा साथ जाना है???
  • BN Pandey MUN KI TARANG MAAR LO BUS HO GAYAA BHAJAN.....AAYE HAI HUM KAHAA SE JAAYENGE HUM KAHAA...BUS ETANI SI BAAT JAAN LO PHIR HO GAYAA BHAJAN......
  • Ajai Kumar Khare Jeevan ka satya yahi hai" bhookhe nange aaye the bhookhe nange Jana hai" to jeevan bhar noch khasonth kyon? Aap ka kahna sahi hai ki man shant air prasann rahe ; bus yahi bahut hai. .,...... . man ko choo gayee rachna.... Thnx.
  • Anil K Garg Sir, twice daily , I am putting some seeds & food wastage at my roof top , which is eaten by various species of birds like pigeons , crows, sparrows , parrots , Seven Sisters , Bulbuls etc. I equest / suggest all my friends, that instead of throwing their food waste into dust bins, pl put it on your roofs, windows etc , so that it can serve as food for birds...Thanks.
  • S.p. Singh Good idea we also keep it on window ACs and birds come and eat.

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