Saturday, November 22, 2014

चितवन वृक्षों की एवेन्यू से गुजरते हुए


कलम से____

चितवन वृक्षों की
एवेन्यू
से गुजरते हुए
मन अत्यंत प्रसन्न हुआ
उसके फूलों के
खिलने का आभास हुआ
नैसर्गिक आनंद की
अनुभूति हुई
खुशबू जब उसकी
नासिका में पड़ी।
कुछ लोगों को
यह नशेमन सी लगती है
किसी को यह समझ नहीं आती है
किसी के सिर में यह दर्द करती है
मैं अपनी बात कहता हूँ
मुझे यह बहुत अच्छी लगती है।
यह खुशबू अब हर रोज़ मिलेगी
होलिकोत्सव तक मन मोहती रहेगी
यहाँ आने को प्रेरित करती रहेगी
और भी पेड़ पौधे हैं यहाँ जो आकर्षित करते हैं
हम जैसे कुछ लोग यहाँ बस इसीलिए आते हैं
आओ एक दिन तुम, तुमको भी दिखलाऊँ
जो न कह सका तब, शायद अब कह पाऊँ.....
आओ एक दिन धूप का आनंद उठायें
कुछ पुराने गीत गुनगुनायें.....

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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