Thursday, November 27, 2014

रात कल वो दिख गया

कलम से____
खोज करते करते
रात कल वो
दिख गया
तारों के बीच हँस रहा था
कुछ शरमाता हुआ
प्यारा सा अपना चाँद
आसमान में टकटकी लगाये
मुझे ही देखता हुआ
मिल गया
पूछा जब अकेले हो क्यों
कहने लगा, कहाँ हूँ मैं अकेला
साथ है यामिनी और चाँदनी
साथ है नभ और तारे यहाँ
साथ है सूरज भी मेरे
बिना जिसके बजूद मेरा कहाँ
साथ हैं मेरे
टकटकी लगाए देखता यह जहां ...
मेरे पास पत्नी जी भी आ गईं
हाथ उनके अपने हाथ लेकर
हम दोनों निहारते रहे यह समां....
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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