Monday, November 17, 2014

चौराहे के पास घर है मेरा


कलम से____

चौराहे के पास घर है मेरा
पता ढूंढना आसां है
सुबह सुबह से चहल पहल
बसों के हार्न ट्रकों के टायर की आवाज आती रहती है
मुसाफिरों की चिल्लपों अलग से कानों में पडती रहती है
शांति नहीं हैं पर अब इसी अशांति में शांति मिलती हैं
शहरों की भीड रास नहीं आती
पर यह जगह भी अब छोड़ी नहीं जाती
यह एक मजबूरी है
मजबूती की यह मजबूरी है।

//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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