Thursday, November 27, 2014

कलम से____
कौन कहता है कि मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते,
रास्ते गवाह हैं, बस कमबख्त गवाही नहीं देते !!!
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
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