Thursday, December 4, 2014

क्रदन से हुई शुरुआत इस जिदंगी की माँ की आँखों से छलके दो बूँद खुशी के

कलम से____
क्रदन से हुई शुरुआत इस जिदंगी की
माँ की आँखों से छलके दो बूँद खुशी के
फिर क्या था, आवागमन लगा रहा 
खुशियाँ आतीं रहीं, जातीं रहीं
जीवन उतार चढ़ाव में उतर गया
शुरू हुआ मांगने का सिलसिला
आजतक न जो खत्म हुआ
हर रोज खड़े रहते हैं
कभी यहाँ कभी वहाँ
कुछ और नहीं तो तेरे यहाँ
हाथ जोड़, यह दे दो कभी वह दे दो
लेने देने का व्यापार यूँही है चलता रहता
होता बंद उस दिन, जिस दिन
साथ लेकर तू चल देता
देना है, अब तो ज्ञान दे
कुछ और अब न दे
जो तेरा है तू लेले
मेरा मुझको देदे
कृपा तू इतनी कर दे
//सुरेन्द्रपालसिंह © 2014//
— with Puneet Chowdhary.
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  • Neeraj Saxena Suprabhat singh sahab have a nice thursday
    10 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh Thanks Neeraj ji.
    10 hrs · Like
  • Rajan Varma 'मेरा मुझको देदे'- मेरा मुझ में किछ नहीं, जो किछ है सो तेरा;
    बहुत सोचा कि ऐसा क्या है इस जगत् में जो मेरा है अौर मेरा उस पर अधिकार है- जिसे मैं हक से कह सकूँ कि ये तो मुझे मिलना ही चाहिये, बस!!!
    यही समझ आया कि मेरे पिताश्री- वोह परम-आत्मां जो इस सृष्टि का सर-संचालक है- हम उसी के तो अंश हैं- Man is made in God's own image- says Bible; तो उस रिश्ते से पुत्र का पिताश्री पर हक हुआ नाह?? मुझे पिताश्री की जायदाद नहीं चाहिये- अपितु स्वयं पिताश्री ही चाहिये अौर पिताश्री को मुझे गले लगाना ही होगा!!! nothing more, nothing less!!!
    9 hrs · Unlike · 4
  • S.p. Singh So nice. अब धरातल पर आकर इसको ITI के परिपेक्ष्य में जरा देखिए जो हमारा है वह भी नहीं मिल पा रहा है। जन्म से मृत्यु तक भिखारी की तरह मांगते ही रहे। कभी इस दरवाजे तो कभी उस दरवाजे। न उसने दिया न किसी और ने। अपना कमाया हुआ था उसके लिए भी सुप्रीमकोर्ट जाना पड़ा। कवि के मन में जो अंतर्द्वंद होगा वह तो कविता के माध्यम से निकलेगा। चाह तो रहा था इसको ITI Connect में भी चिपकाने की फिर सोचा आधिकतर लोग समझ नहीं पाऐंगे। हमारे रैगूलर ग्राहक ही ठीक हैं।
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  • Dinesh Singh बहुत खूबसूरत मान्यवरSee Translation
    9 hrs · Like · 2
  • Harihar Singh वाह बहुत सुन्दर भावSee Translation
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  • S.p. Singh धन्यवाद हरिहर भाई। आप कुशल हैं न।
    8 hrs · Like · 1
  • Rajan Varma उस परिपेक्ष्य में तो मैंने सोचा ही नहीं- आप ग़र reference to context लिख देते तो समझ जाता; सोचने के मामले में ज़रा फ़िसड्ड्ी ही रहा हूँ
    8 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh नैनी बहुत ढीली चल रही है। सब देर वहीं है।
    8 hrs · Like · 1
  • Rajan Varma नैनी चल रही वही बहुत है-
    8 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।
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  • Harihar Singh नही साब फिलाल ठीक नहीं है ।आपका अन्देशा सच निकला ।अभी तो नोयडा जा रहा हूँ ।शाम को बताते है सर।See Translation
    8 hrs · Unlike · 1
  • S.p. Singh इंतजार रहेगा।
    8 hrs · Like · 1

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